उत्तरकाशी में पहले भी अगस्त में आई है आपदाएं
- उत्तरकाशी के धराली में पांच अगस्त को बादल फटने की घटना हुई, जिससे कई लोग लापता हो गए हैं.
- रेस्क्यू ऑपरेशन तेज़ी से चलाया जा रहा है क्योंकि कई लोग मलबे में दबे होने की संभावना है.
- अगस्त का महीना उत्तरकाशी में कई वर्षों से आपदाओं और तबाही का महीना साबित हो रहा है.
उत्तरकाशी के धराली में मंगलवार को जो कुछ हुआ वो उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. बादल फटने की घटना के बाद से ही लापता हुए लोगों की तलाश के लिए तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि अभी भी कई लोग हैं जो मलबे में दबे हो सकते हैं. उत्तरकाशी के धराली में हुई ये घटना पांच अगस्त को हुई है. ये वही अगस्त का महीना है जिसमे बीते कुछ वर्षों में उत्तरकाशी में खासतौर पर कई बड़ी घटनाएं हुई है.
उत्तरकाशी में अगस्त का महीना लगातार तबाही का महीना साबित हुआ है. इसकी शुरुआती होती है वर्ष 1978 से. जब गंगनानी में झील बनी थी और इस वजह से छह लोगों की मौत हो गई थी. 2010 में भी जब भटवाड़ी बाजार के धंसने की घटना हुई थी उस दौरान भी महीना अगस्त का ही था. इस घटना में 49 परिवार बेघर हो गए थे.
साल 2012 में जब अस्सीगंगा और भागीरथी में बाढ़ आई और उस बाढ़ में 35 लोगों की मौत हुई तो वो महीना भी अगस्त का ही था. इस बाढ़ में हजारों लोग प्रभावित हुए थे. 2019 में मोरी ब्लॉक के गांव में बादल फटने की घटना हुआ. महीना था अगस्त का. इस घटना में 19 लोग मारे गए थे, जान-माल का भी नुकसान हुआ था. अब जब धराली में खीर गंगा नदी ने हर्षिल की तेलगंगा के साथ मिलकर तबाही मचाई तो ये महीना भी अगस्त का ही है.
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