
- उत्तराखंड के धराली गांव में बादल फटने से आई बाढ़ में चार लोगों की मौत हुई और पचास से अधिक लोग लापता हैं
- गंगोत्री नेशनल हाईवे का तीस मीटर हिस्सा धंस गया है और कई जगह रास्ते बंद होने से राहत कार्य प्रभावित हुए हैं
- आईटीबीपी ने असुरक्षित लोगों को कोपांग के रिलीफ कैंप में रखा है और राहत सामग्री पहुंचाने के प्रयास जारी हैं
उत्तराखंड के गंगोत्री धाम जाने वाले रास्ते पर, अहम पड़ाव धराली... एक ऐसी खूबसूरत जगह जो अक्सर सैलानियों से गुलजार रहती थी, अब तबाही का पर्याय बन चुकी है. खीर गंगा के किनारे बसा यह शांत पहाड़ी गांव मंगलवार दोपहर 2 बजे के आसपास मौत के मंजर में बदल गया. आसमान से बरसी आफत ने नाले को उफान पर ला दिया, पहाड़ टूट पड़े, और मकान माचिस की तिल्लियों की तरह मलबे के नीचे जमींदोज हो गए. लोग जान बचाने के लिए चीखते-चिल्लाते इधर-उधर भाग थे—“मगर ऊपर से आया खतरनाक मलबा कुछ ही वक्त में सब कुछ लील गया!”—एनडीटीवी की टीम रातभर सफर करके उत्तरकाशी के भटवाड़ी तक पहुंची. लेकिन कुदरत के कहर से यहां भी गंगोत्री नेशनल हाईवे का 30 मीटर हिस्सा धंस गया है. सड़क टूटी हुई है, आगे कई जगहों पर खाई बन चुकी है. जहां से रेस्क्यू टीमें यहां से आगे नहीं बढ़ पा रहीं. भटवारी से लगभग 50 किलोमीटर दूर घरावी गांव में राहत सामग्री पहुंचानी है, लेकिन रास्ता मौत का जाल बन चुका है. आईटीबीपी के जवान भी वहीं फंसे हैं. ऋषिकेश से आगे उत्तरकाशी जाते हुए हाईवे पर एसडीआरएफ की टीम भूस्खलन की वजह से फंसी हुई है, लगातार बारिश हो रही है. आगे भी भूस्खलन हुआ है, जिस वजह से रास्ता ब्लॉक हो गया है.

बादल फटने से खौफनाक तबाही, 50 से ज्यादा लापता
धराली में मंगलवार दोपहर को बादल फटने से भारी तबाही (Dharali Cloudburst) हुई है. अब तक चार लोगों की जान जा चुकी है और 50 से ज्यादा लोग लापता हैं. राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है. ITBP ने 80 स्थानीय लोगों को सकुशल कोपांग में रिलीफ कैंप में रखा है. वहीं हर्षिल के रास्ते में तेज बारिश के चलते कई जगहों पर लैंडस्लाइड की वजह से रास्ते बंद हो गए हैं. प्राकृतिक आपदा को देखते हुए राहत और बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए राज्य सरकार ने 20 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. पुलिस मुख्यालय की ओर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और विशेष पुलिस बलों की तत्काल तैनाती की गई है. प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को उत्तरकाशी भेजा गया है.

130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला
खीर गंगा नदी में आयी विनाशकारी बाढ़ में चार लोगों की मौत हो गयी और 130 से अधिक लोगों को बचा लिया गया. बाढ़ में लापता हुए लोगों की संख्या के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यह संख्या 50 से अधिक हो सकती है क्योंकि बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला. अधिकारी ने बताया कि धराली में आई बाढ़ में कई मकान और होटल तबाह हो गए. धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है. उन्होंने बताया कि दोपहर बाद करीब पौने दो बजे हुई इस घटना में कम से कम आधा धराली गांव मलबे और कीचड़ में दब गया. बाढ़ के पानी और मलबे के तेज बहाव में तीन-चार मंजिला मकानों सहित आस-पास की इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं. अधिकारियों के अनुसार, खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से यह विनाशकारी बाढ़ आई. बाढ़ से केवल धराली ही नहीं प्रभावित हुआ. राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि तेज गति से आया सैलाब एक ही पहाड़ी की दो अलग-अलग दिशाओं में बहा-एक धराली की ओर दूसरा सुक्की गांव की ओर.

ऐसी भयंकर तबाही जो पूरा गांव लील गई
स्थानीय लोगों ने बताया कि धराली बाजार का एक बड़ा हिस्सा आपदा में तबाह हो गया. बादल फटने से धराली में आई आपदा के एक वीडियो में लोगों को डर के मारे चीखते सुना जा सकता है जबकि एक अन्य वीडियो में एक आवाज सुनाई दे रही है, ‘‘सब कुछ खत्म हो गया है.'' मुख्यमंत्री धामी अपना आंध्र प्रदेश का दौरा बीच में ही छोड़कर देहरादून लौट आए और अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया. धामी ने धराली में हुए भारी नुकसान पर दुख जताया और कहा कि प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी. उन्होंने बताया कि बताया कि राहत एवं बचाव कार्यों में सेना, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा जिला प्रशासन की टीम युद्धस्तर पर लगी हैं. धामी ने प्रभावितों को हवाई मार्ग से लाने तथा उनके लिए तत्काल भोजन, कपड़े और दवाइयां भिजवाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों को वायु सेना के एमआई-17 का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए.

पीएम मोदी ने दिया हरसंभव मदद का भरोसा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘उत्तरकाशी के धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूं. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी से बात कर मैंने हालात की जानकारी ली है। राज्य सरकार की निगरानी में राहत और बचाव की टीमें हरसंभव प्रयास में जुटी हैं। लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है.'' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी धामी से बात की और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए सात बचाव दल भेजने का आदेश दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं और कीमती जानें बचाने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं. इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एडीआरएफ ने उत्तराखंड में बादल फटने की घटना में मारे गए लोगों का पता लगाने में मदद के लिए शव खोजी कुत्तों की अपनी पहली टीम तैनात करने का फैसला किया है. इन कुत्तों के एक जोड़े को दिल्ली से हवाई मार्ग से लाया जाएगा, जबकि राज्य के विभिन्न स्थानों से बल की तीन टीम घटनास्थल पर पहुंच गई हैं जिनमें प्रत्येक में 35 बचावकर्मी शामिल हैं.

राहत और बचाव में जुटी टीमें
एसडीआरएफ के पुलिस महानिरीक्षक अरुण मोहन जोशी, गढ़वाल परिक्षेत्र के आईजी राजीव स्वरूप, एसपी प्रदीप कुमार राय, एसपी अमित श्रीवास्तव, एसपी सुरजीत सिंह पंवार और एसपी श्वेता चौबे शामिल हैं. साथ ही एक डिप्टी कमांडेंट और 11 डिप्टी एसपी भी राहत कार्यों के समन्वयन के लिए रवाना किए गए हैं, जो राहत एवं समन्वय कार्यों का नेतृत्व करेंगे. इसके अलावा, आपदा प्रबंधन को और मजबूत बनाने के लिए सेनानायक आईआरबी द्वितीय, श्वेता चौबे के नेतृत्व में देहरादून की कंपनी तथा 40वीं वाहिनी पीएसी के विशेष आपदा राहत दल के 140 जवानों को भेजा गया है. प्रदेश के अन्य जिलों से भी सहयोग जुटाया गया है। देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और टिहरी से कुल 160 पुलिसकर्मियों (निरीक्षक से लेकर आरक्षी स्तर तक) को आवश्यक राहत उपकरणों के साथ प्रभावित क्षेत्रों में रवाना किया गया है. इन सभी बलों को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने की जिम्मेदारी दी गई है. सरकार और पुलिस प्रशासन का उद्देश्य है कि प्रभावित लोगों को तुरंत सहायता पहुंचे, जनहानि को न्यूनतम किया जाए और राहत कार्य तेजी, समन्वय और सटीकता के साथ पूरे किए जाएं. सभी पुलिस बलों को 24 घंटे कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं.
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