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This Article is From Mar 11, 2024

Candidate Kaun: क्या बलिया से वीरेंद्र सिंह का टिकट काटेगी BJP? भदोही और पूर्णिया में कौन होगा 'INDIA' का उम्मीदवार

NDTV अपने खास शो 'खबर पक्की है' के तहत आपको ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश की बलिया और भदोही, बिहार की पूर्णिया सीट का हाल बता रहा है. आइए जानते हैं कि इन सीटों पर किसे मिलेगा टिकट और कौन होगा रिजेक्ट:-

वीरेंद्र सिंह बलिया से बीजेपी के सांसद हैं. 2019 के चुनाव में कड़े मुकाबले में उन्होंने सपा के सनातन पांडेय को हराया था.

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) की तारीखों का ऐलान जल्द होने वाला है. अब तक बीजेपी (BJP), कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर चुकी है. वहीं, कुछ हाईप्रोफाइल सीटों पर अभी भी किसी पार्टी ने उम्मीदवार फाइनल नहीं किए हैं. ऐसे में NDTV अपने खास शो 'खबर पक्की है' के तहत आपको ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर यूपी की बलिया, भदोही और बिहार की पूर्णिया सीट का हाल बता रहा है. आइए जानते हैं कि इन सीटों पर किसे मिलेगा मौका और कौन होगा रिजेक्ट:-

बलिया सीट (यूपी)
यूपी की बलिया सीट दिग्गजों का गढ़ रही है. इस क्षेत्र का योगदान आज़ादी के आंदोलन में भी बड़े सम्मान से लिया जाता है. बलिया लोकसभा सीट से जीतने वाले चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने थे. पूर्वी यूपी की ये सीट पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा की सीट मानी जाती है. इस सीट पर दो बार से बीजेपी का कब्ज़ा है. 

वीरेंद्र सिंह बलिया से बीजेपी के सांसद हैं. 2019 के चुनाव में कड़े मुकाबले में उन्होंने सपा के सनातन पांडेय को हराया था. 2019 में यहां 9,90,571 वोट पड़े थे. वीरेंद्र सिंह को 4,69,114 वोट मिले थे. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 4,53,595 को वोट मिले थे. 

बलिया लोकसभा सीट में 5 विधानसभा क्षेत्र बैरिया, बलिया नगर, फेफना, ज़हूराबाद और मोहम्मदाबाद आते हैं. ये पांच विधानसभा सीटें दो ज़िलों में आती हैं. बैरिया, बलिया और फेफना का क्षेत्र बलिया ज़िले में आता है. जबकि ज़हूराबाद और मोहम्मदाबाद का क्षेत्र गाजीपुर ज़िले में आता है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, बलिया लोकसभा में मतदाताओं कि संख्या 19 लाख 12 हजार के करीब हैं.

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किस पर दांव लगाएगी बीजेपी?
बलिया में बीजेपी बदलाव के मूड में दिख रही है. हालांकि, टिकट के दावेदारों में सबसे पहला नाम मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह का ही चल रहा है. अभी इनके नाम की घोषणा नहीं हुई है. इनका टिकट कट भी सकता है. बीजेपी में दूसरा नाम नीरज शेखर का चल रहा है. ये पहले समाजवादी पार्टी में थे. सपा के टिकट से ये दो बार बलिया से सांसद भी बने. 2008 और 2009 में इन्होंने चुनाव जीता था. बात में ये राज्यसभा सदस्य भी बने. लेकिन 15 जुलाई 2019 को ये बीजेपी में शामिल हो गए. उसी दिन राज्यसभा की सदस्यता भी छोड़ दी. 

बलिया सीट पर तीसरा नाम आनंद स्वरूप शुक्ला का चल रहा है. ये उत्तर प्रदेश सरकार के पिछले कार्यकाल में राज्य मंत्री रह चुके हैं. 2017 में बलिया नगर विधान सभा सीट से विधायक रह चुके हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव भी बीजेपी से लड़े थे, मगर हार गए थे. अब लोकसभा का टिकट मांग रहे हैं. हालांकि, इनका टिकट भी वेटिंग लिस्ट में है. 

विपक्षी गठबंधन (सपा-कांग्रेस) किसे उतारेगी?
इस सीट से कांग्रेस-सपा गठबंधन की ओर से सपा का उम्मीदवार होगा, ये पक्की खबर है. लिस्ट में सबसे पहला नाम राजीव राय का चल रहा है. ये समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और बलिया के ही रहने वाले हैं. बलिया लोकसभा क्षेत्र में इनकी बिरादरी कि संख्या अधिक है. इसलिए इनका नाम दावेदारी में ऊपर चल रहा है. इस सीट से बतौर उम्मीदवार नारद राय की भी चर्चा चल रही है. ये समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके है. फिलहाल इनका टिकट भी वेटिंग लिस्ट में है. लिस्ट में एक नाम अंबिका चौधरी का भी है. ये भी समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके है और कद्दावर नेता माने जाते हैं. वहीं, पिछली लोकसभा चुनाव में रनर अप रहे सनातन पांडे को भी सामजावादी पार्टी की ओर से प्रबल दावेदार माना जा रहा है. 

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भदोही सीट (यूपी)
बलिया के बाद बात भदोही की करते हैं. यहां की कालीन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. यहां के कालीनों को GI टैग तक मिल चुका है. भदोही की सीमा प्रयागराज और वाराणसी से लगती है. ये लोकसभा सीट फिलहाल बीजेपी के कब्जे में है. रमेश बिंद भदोही के मौजूदा सांसद हैं. 2019 में उन्होंने बीएसपी के रंगनाथ मिश्र को हराया था. 2019 में 10,39,390 वोट पड़े थे. रमेश बिंद को 5,10,029 वोट मिले थे. रंगनाथ मिश्र के खाते में 4,66,414 वोट आए. 

भदोही लोकसभा सीट का इतिहास ज़्यादा पुराना नहीं है. 2009 से पहले भदोही की जनता मिर्जापुर-भदोही लोकसभा सीट से सांसद चुनने के लिए वोट करती थी. 2008 के परिसीमन के बाद अलग भदोही लोकसभा सीट बनी. फिलहाल इसमें 2 ज़िलों की 5 विधानसभा सीटें हैं. प्रयागराज की परतापुर और हंडिया विधानसभा सीट इसके तहत आती है. भदोही जिले के अंतर्गत औराई, ज्ञानपुर और भदोही विधानसभा सीट आती है.

भदोही लोकसभा सीट पर पहली बार 2009 में आम चुनाव हुआ, तो बीएसपी की टिकट से गोरखनाथ त्रिपाठी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का असर इस सीट पर भी दिखा. दो बार से लगातार यहां बीजेपी जीत रही है. 

बीजेपी किसे बनाएगी उम्मीदवार
इस बार बीजेपी यहां से हैट्रिक मारने की तैयारी कर रही है. हालांकि, अभी तक उसने या किसी दूसरी पार्टी ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. लेकिन लिस्ट में रमेश चंद बिंद का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. इस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है. हालांकि, इनका टिकट अभी कंफर्म नहीं है. बीजेपी से वीरेंद्र सिंह के नाम की भी चर्चा है. ये बलिया से मौजूदा सांसद हैं. फिलहाल दोनों ही जगह से इनका नाम वेटिंग लिस्ट में है.

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विपक्षी गठबंधन किसे देगा मौका?
माना जा रहा है कि गठबंधन से यहां समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार खड़ा हो सकता है. इसमें सीमा मिश्रा का नाम सबसे आगे चल रहा है. सीमा मिश्रा 2014 के चुनाव में भदोही लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी भी रही हैं. इनके पिता बाहुबली नेता विजय मिश्रा हैं, जो चार बार भदोही से विधायक रहे. सीमा मिश्रा पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं. हालांकि, 2017 में सपा ने विजय मिश्रा का भदोही की ज्ञानपुर सीट से टिकट काट दिया था, तो विजय मिश्रा निषाद पार्टी से मैदान में उतरे और चौथी बार विधायक बने. पार्टी से बग़ावत करने के मामले में सपा ने सीमा मिश्रा और विजय मिश्रा दोनों को बाहर कर दिया था. अब सीमा मिश्रा की सपा में वापसी हो गयी है. माना जा रहा है कि सपा की ओर से उनका टिकट लगभग पक्का है. 

सपा से प्रोफेसर बी पांडेय का नाम भी चर्चा में है. ये चित्रकूट विकलांग विश्वविद्याल के पूर्व कुलपति रहे हैं. एक समाजसेवी और शिक्षाविद के तौर पर इनका क्षेत्र में काफी नाम है. महेंद्र बिंद का नाम भी लिस्ट में चल रहा है. ये हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं. चूंकि, भदोही में बिंद समुदाय का वोट काफ़ी मायने रखता है. लिहाजा सपा महेंद्र बिंद को यहां से उतार सकती है. लेकिन इनका भी टिकट अभी वेटिंग में ही है. 

पूर्णिया सीट (बिहार)
अब बिहार के पूर्णिया सीट की बात करते है. ये उत्तरी बिहार का प्रमुख ज़िला है. 2019 में पूर्णिया सीट से जनता दल यूनाइटेड के संतोष कुमार कुशवाहा जीते थे. जेडीयू के संतोष कुमार कुशवाहा ने कांग्रेस के उदय सिंह को हराया था. पूर्णिया में 2019 में कुल 11,53,940 वोट पड़े थे. जिसमें संतोष कुशवाहा को सबसे ज़्यादा 6,32,924 वोट मिले. इनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 3,69,463 वोट मिले. 2,63,461 वोटों के अंतर से जीते.

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NDA किसे चुनेगा प्रत्याशी?
पूर्णिया लोकसभा सीट पर पिछले दो बार से जनता दल यूनाइटेड का कब्जा रहा है. इस सीट से संतोष कुशवाहा सांसद हैं. वो नीतीश कुमार के विश्वास पात्र रहे हैं और कुशवाहा जाति से आते हैं. इसलिए उनके टिकट कटने की संभावना ना के बराबर हैं.

इस ज़िले से मंत्री और जनता दल यूनाइटेड की वरिष्ठ नेता लेसी सिंह भी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं, लेकिन अगर बिहार में अगले हफ्ते होने वाले मंत्री मंडल विस्तार में उन्हें जगह मिल गयी, तो उससे उनको संतोष करना होगा.

महागठबंधन किसे देगी मौका?
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस इस बार इस सीट से उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस से दो बार सांसद रहे उदय सिंह के अलावा अमरनाथ तिवारी या मधेपुरा और नब्बे के दशक में पूर्णिया से भी सांसद रहे पप्पू यादव भी उम्मीदवारों की सूची प्रबल दावेदार हैं. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने अब तक सीटों के नाम फाइनल ना होने के कारण उम्मीदवारों के नाम शॉर्टलिस्ट नहीं किए हैं.

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