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This Article is From May 14, 2024

"जम्मू-कश्मीर के अस्तित्व पर खतरा..." : अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर NDTV से बोले उमर अब्दुल्ला

उमर अबदुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर मैं जो कह रहा हूं वो सही है और वास्तविकता पर आधारित है. आज या कल, हमें खतरे का सामना करना पड़ेगा और आप इससे इनकार नहीं कर सकते.

"जम्मू-कश्मीर के अस्तित्व पर खतरा..." : अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर NDTV से बोले उमर अब्दुल्ला
श्रीनगर:

लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण के मतदान के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. श्रीनगर में मतदान के एक दिन बाद उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 (जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा 2019 में खत्म कर दिया गया था) को हटाने के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों के अस्तित्व को खतरा है."

उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां अगले सप्ताह मतदान होना है. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "ये हमारे संवैधानिक सुरक्षा उपायों को खोने के बाद का चुनाव है. हम (अब) अपने अस्तित्व के लिए खतरे का सामना कर रहे हैं, क्योंकि अनुच्छेद 370 को हटाने से हमारी पहचान, भूमि और नौकरियों के संबंध में सुरक्षा समाप्त हो गई है."

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा निरस्त किए गए अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की, जिसमें नौकरियों और भूमि की बिक्री पर प्रतिबंध भी शामिल था. सरकार ने संसद में तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर में विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए इसे हटा दिया गया था.

उमर ने कहा, "हमारे पास देश के सबसे कमजोर डोमिसाइल कानूनों में से एक है. लद्दाख (पूर्व राज्य जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद बनाया गया केंद्र शासित प्रदेश) में आज अधिक मजबूत डोमिसाइल सुरक्षा है. अगर और कुछ नहीं, तो हम आशा करते हैं कि जब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा , हम भूमि और नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे."

उन्होंने कहा, ''मैं जम्मू-कश्मीर में जमीन और नौकरी के अधिकार के मुद्दे पर किसी को परेशान करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं. मैं जो कह रहा हूं वो सही है और वास्तविकता पर आधारित है. आज या कल, हमें खतरे का सामना करना पड़ेगा और आप इससे इनकार नहीं कर सकते!''

उमर अबदुल्ला ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का दिसंबर का फैसला अंतिम और हमेशा के लिए नहीं है. दरअसल मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के सरकार के कदम को बरकरार रखा था. छह महीने पहले, अनुच्छेद 370 पर शीर्ष अदालत के फैसले के बाद, अब्दुल्ला ने कहा था कि वो निराश हैं, लेकिन हताश नहीं हैं. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "संघर्ष जारी रहेगा."

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि केंद्र में हमेशा ऐसी सरकार नहीं होगी, जो जम्मू-कश्मीर के प्रति मित्रवत न हो. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया ब्लॉक, जिसने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ अधिकांश विपक्ष को एकजुट किया है, 370 पर एनसी के रुख का समर्थन करता है.

उन्होंने तमिलनाडु के सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, बंगाल में तृणमूल और वाम दलों का जिक्र करते हुए कहा, "मैं पूर्ण रूप से इंडिया गठबंधन के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. लेकिन घटक दलों का इस मुद्दे पर हमारे साथ साझा कारण है. हम जो कह रहे हैं उसका सार्वजनिक रूप से समर्थन कर चुके हैं. जैसे-जैसे समय गुजरेगा, हमारे दोस्तों की संख्या बढ़ेगी."

वहीं अपने खुद के चुनाव का जिक्र करते हुए, उमर ने कहा, "इस चुनाव में हर प्रतिद्वंद्वी मेरे लिए एक चुनौती है, सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं. मैं उन बंदियों की रिहाई के लिए लड़ूंगा जो युवा हैं, आवाजहीन हैं और भुला दिए गए हैं. इस बार उमर अब्दुल्ला का मुकाबला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन, जेल में बंद नेता इंजीनियर राशिद और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के फैयाज मीर से है.

अब तक (सात में से) चार चरणों के मतदान के बारे में चर्चा है कि भाजपा को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ सकता है, इस पर उन्होंने कहा, "मेरे एक हिस्से को उम्मीद है कि जो हम सुन रहे हैं वो सच है, लेकिन मेरे एक हिस्से को चिंता है कि ये इच्छाधारी हो सकता है, सोच रहा हूं कि 2019 में तो उत्साह कम हो रहा था, लेकिन फिर ऐसा नहीं हुआ."

उन्होंने कहा, "अब तक, भाजपा के अभियान के आधार पर, मैं कहूंगा कि वे घबराए हुए दिख रहे हैं. क्या ये घबराहट कम सीटों में बदल जाएगी, हमें 4 जून (जब परिणाम घोषित किए जाएंगे) का इंतजार करना होगा."

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के बाद ये जम्मू-कश्मीर में पहला बड़ा चुनाव है, जिसमें अदालत ने महत्वपूर्ण रूप से इस साल सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया है. जम्मू-कश्मीर में छह साल से कोई राज्य चुनाव नहीं हुआ है.
 

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