कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को 45 उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी की, जिसमें सबसे प्रमुख नाम पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय का है, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से टिकट दिया गया है.
2014 और 2019 के बाद आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राय की यह तीसरी सीधी लड़ाई है. वह दोनों बार पीएम मोदी से हार गए थे. 2014 में, पीएम मोदी ने 56% से अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की, जबकि राय लगभग 75,000 वोट पाने में सफल रहे. अरविंद केजरीवाल 3.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
2019 में, वाराणसी की लड़ाई पीएम नरेंद्र मोदी, समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव और कांग्रेस के अजय राय के बीच त्रिकोणीय मुकाबला थी. 63% से अधिक वोट शेयर के साथ फिर से पीएम मोदी, शालिनी यादव को लगभग 18% वोट शेयर के साथ दूसरा स्थान मिला, जबकि राय लगभग 14% वोट पाने में सफल रहे.
वाराणसी परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ रहा है और 1991 के बाद से हर बार पार्टी का कोई उम्मीदवार निर्वाचित होता रहा है, 2004 को छोड़कर जब कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा ने जीत हासिल की थी. अजय राय, एक स्थानीय ताकतवर नेता, ने अपनी राजनीतिक यात्रा भाजपा की छात्र शाखा के साथ शुरू की और 1996 से 2007 के बीच तीन बार यूपी विधानसभा में जीत हासिल की. हालांकि, 2009 में, जब उन्हें भाजपा द्वारा लोकसभा टिकट से वंचित कर दिया गया, तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी. तीन साल बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गये.
रामनाथ सिकरवार का मुकाबला फतेहपुर सीकरी में भाजपा के राजकुमार चाहर से होगा, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में जाने के बाद कांग्रेस में लौटे इमरान मसूद सहारनपुर से और दलित नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज बाराबंकी से चुनाव लड़ेंगे, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाजपा के उपेन्द्र सिंह रावत संसद में कर रहे हैं.
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