नई दिल्ली:
केंद्रीय गृहसचिव आरके सिंह ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए संदिग्ध हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी लियाकत शाह के बारे में यदि यह पाया गया कि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आत्मसमर्पण करने के वास्तविक इरादे से यहां आया था तो उसे रिहा कर दिया जाएगा।
सिंह ने कहा कि लियाकत की भारत-नेपाल सीमा के पास से गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विरोधाभासी दावों के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जांच करेगी कि ‘सच्चाई क्या है’।
उन्होंने कहा, ‘‘(लियाकत के) मामले को जांच के लिए एनआईए को सौंपा गया है। वे जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि सच्चाई कहां है। क्या वह (लियाकत) वास्तव में आत्मसमर्पण करने के लिए आ रहा था या उसके पीछे कोई षड्यंत्र था, जो भी हो, सब स्पष्ट हो जाएगा।’’ सिंह ने यहां ‘सशस्त्र सीमा बल’ (एसएसबी) के एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘‘यदि वह (लियाकत) वास्तव में आत्मसमर्पण करने के लिए आ रहा था तो हमारा प्रयास उसे रिहा करने का होगा ताकि वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिल सके।’’
एनआईए उन परिस्थितियों की जांच करेगी जिसके चलते दिल्ली पुलिस ने लियाकत को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उसने होली से पहले इस गिरफ्तारी से राजधानी में एक ‘फिदायीन’ हमले को नाकाम कर दिया। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि लियाकत आतंकवादी पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लौट रहा था। उन्होंने मामले की एनआईए से जांच कराने की मांग की थी।
कार्यक्रम के बाद सिंह हालांकि इस संबंध में कोई बयान देने से बचते दिखे कि क्या गृह मंत्रालय कर्तव्य निर्वहन के दौरान मारे गए अर्धसैनिक बलों को ‘शहीद’ का दर्जा देगा।
सिंह ने कहा, ‘‘देश की रक्षा करने के लिए अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए मारे गए जवान शहीद हैं। हम उन्हें शहीद कहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल और सुरक्षा प्रतिष्ठान वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 सुरक्षाकर्मियों की हत्या जैसी बड़ी घटनाओं से बेहतर रणनीति बनाने का ‘‘सबक सीखते’’ हैं।
सिंह ने कहा कि लियाकत की भारत-नेपाल सीमा के पास से गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विरोधाभासी दावों के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जांच करेगी कि ‘सच्चाई क्या है’।
उन्होंने कहा, ‘‘(लियाकत के) मामले को जांच के लिए एनआईए को सौंपा गया है। वे जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि सच्चाई कहां है। क्या वह (लियाकत) वास्तव में आत्मसमर्पण करने के लिए आ रहा था या उसके पीछे कोई षड्यंत्र था, जो भी हो, सब स्पष्ट हो जाएगा।’’ सिंह ने यहां ‘सशस्त्र सीमा बल’ (एसएसबी) के एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘‘यदि वह (लियाकत) वास्तव में आत्मसमर्पण करने के लिए आ रहा था तो हमारा प्रयास उसे रिहा करने का होगा ताकि वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिल सके।’’
एनआईए उन परिस्थितियों की जांच करेगी जिसके चलते दिल्ली पुलिस ने लियाकत को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उसने होली से पहले इस गिरफ्तारी से राजधानी में एक ‘फिदायीन’ हमले को नाकाम कर दिया। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि लियाकत आतंकवादी पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लौट रहा था। उन्होंने मामले की एनआईए से जांच कराने की मांग की थी।
कार्यक्रम के बाद सिंह हालांकि इस संबंध में कोई बयान देने से बचते दिखे कि क्या गृह मंत्रालय कर्तव्य निर्वहन के दौरान मारे गए अर्धसैनिक बलों को ‘शहीद’ का दर्जा देगा।
सिंह ने कहा, ‘‘देश की रक्षा करने के लिए अपना कर्तव्य निर्वहन करते हुए मारे गए जवान शहीद हैं। हम उन्हें शहीद कहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल और सुरक्षा प्रतिष्ठान वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 सुरक्षाकर्मियों की हत्या जैसी बड़ी घटनाओं से बेहतर रणनीति बनाने का ‘‘सबक सीखते’’ हैं।