नई दिल्ली:
संसद के निचले सदन, यानी लोकसभा में बुधवार को गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों पर बहस शुरू करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उत्पादों तथा सेवाओं के बेहतर तरीके से जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह कानून लागू करने का इरादा है, और इससे मिलने वाले राजस्व का बंटवारा केंद्र तथा राज्यों के बीच किया जाएगा. इस बेहद अहम बिल पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी सदन में मौजूद हैं.
वित्तमंत्री के वक्तव्य की खास बातें...
वित्तमंत्री के वक्तव्य की खास बातें...
- बहस के लिए कुल चार बिल पेश किए जा रहे हैं...
- इनके नाम हैं सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी), इन्टीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी), यूनियन टेरिटरीज़ जीएसटी (यूटीजीएसटी) तथा जीएसटी मुआवज़ा कानून...
- चारों को एक साथ इसलिए लाया जा रहा है, क्योंकि इनकी विषयवस्तु एक ही है...
- संसद तथा राज्य विधानसभाओं को जीएसटी लागू करने का अधिकार होगा...
- केंद्र-राज्य सरकारों के बीच मतभेदों से बचने के लिए व्यवस्था पर ज़ोर रहना चाहिए...
- जीएसटी काउंसिल में 32 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व है...
- जीएसटी के तहत चार - 5, 12, 18 व 28 प्रतिशत - टैक्स स्लैब प्रस्तावित हैं...
- जीएसटी अभूतपूर्व बदलाव लाने वाला कदम है...
- जीएसटी का एन्टी-प्रॉफिटीयरिंग क्लॉज़ काफी निरंकुश है...
- जीएसटी काउंसिल में मूलभूत स्तर पर विरोधाभास है...
- राज्यसभा अहम बिलों पर बहस नहीं कर सकती, यह संघीय ढांचे पर प्रहार है...
- जीएसटी में देरी के कारण भारतीयों का 12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ...
- जीएसटी में कई दरें हैं, यह 'एक देश - एक टैक्स' नहीं है...
- टैक्स रिफंड को ऑटोमैटिक व्यवस्था होना चाहिए...
- जीएसटी के बाद क्षेत्रीय स्वतंत्रता नहीं रह जाएगी...
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