उत्तर प्रदेश पुलिस के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश इन दिनों खबरों में है. विपक्ष इस कदम को दक्षिण अफ्रीका में "रंगभेद" और हिटलर के जर्मनी की नीतियों से जोड़ रहा है. वार्षिक कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होगी.
मुजफ्फरनगर पुलिस ने धार्मिक जुलूस के दौरान भ्रम से बचने के लिए मार्ग पर सभी खाद्य दुकानों को अपने मालिक का नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू हो गई है. हमारे अधिकार क्षेत्र में, जो लगभग 240 किमी है, सभी भोजनालयों, होटलों, ढाबों और ठेलों (सड़क किनारे ठेले) को अपने मालिकों या दुकान चलाने वालों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि कांवड़ियों के बीच कोई भ्रम न हो और भविष्य में कोई आरोप न लगे, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी 'कांवड़िया' मुस्लिम मालिक की दुकान से कुछ भी न खरीदे.
ओवेसी ने एक्स पोस्ट में कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के मुताबिक-अब हर खाने-पीने की दुकान या ठेले वाले को अपना नाम बोर्ड पर लिखना होगा, ताकि कोई भी कांवडि़या गलती से किसी मुस्लिम दुकान से कुछ न खरीद ले. दक्षिण अफ्रीका में और हिटलर के जर्मनी में इसे रंगभेद कहा जाता था. इसे 'जुडेनबॉयकॉट' कहा गया.''
बॉलीवुड गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने भी पूछा कि पुलिस ने ऐसे निर्देश क्यों जारी किए हैं. जावेद अख्तर ने एक्स पोस्ट में कहा, "मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिए हैं कि निकट भविष्य में किसी विशेष धार्मिक जुलूस के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्तरां और यहां तक कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए. नाजी जर्मनी में केवल विशेष दुकानों और मकानों को निशान बनाते थे."
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