LGBT Activist कहते हैं कि आम नगारिकों की तरह समान अधिकार की लड़ाई में ये बड़ी जीत है
नई दिल्ली:
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को समलैंगिक अपनी आज़ादी के तौर पर देख रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी लंबी लड़ाई अपने मुकाम तक पहुंची है. अब उनकी नज़र समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता दिलाने पर है. गुरुवार को ये जश्न जैसे ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा था. अलग-अलग शहरों में एलजीबीटी समुदाय से जुड़े लोग नाचते-गाते, एक दूसरे को बधाई देते नज़र आए. आख़िर उनकी ज़िंदगी में दशकों का अंधेरा छंटा है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बाकी नागरिकों की तरह बराबरी दी है.
LGBT Activist Somaya खुश हैं. कहते हैं कि आम नगारिकों की तरह समान अधिकार की लड़ाई में ये बड़ी जीत है. कहते हैं एक नई लड़ाई की शुरूआत हुई है. क्या LGBT समुदाय को शादी करने का अधिकार मिलना चाहिये? इस पर LGBT Activist बिसमाया ने कहा, 'उम्मीद है कि अगले 4-5 साल में हमें ये अधिकार भी मिल जाएगा, हो सकता है अगले दो साल में ही मिल जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसी भी आम भारतीय नागरिक को शादी से लेकर इनहेरिटेंस तक को लेकर अधिकार LGBT समुदाय को भी मिलना चाहिए. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मील का पत्थर साबित होगा.'
बिसमाया के दोस्त भुवन ने एनडीटीवी से कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुलिस से लेकर स्कूलों तक को इस मसले पर संवेदनशील बनाने की कोशिश की जाएगी जो एक बड़ी शुरुआत है. समाज की सोच को बदलने में समय लगेगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी शुरुआत की है.
क़ानून ने तो इस समुदाय को वैधता दे दी है, लेकिन क्या समाज खुल कर इनके साथ खड़ा होगा. अदालत की ही तरह ये लोग भी मानते हैं कि इसके लिए सरकार को कोशिश करनी होगी पुलिस-प्रशासन को संवेदनशील बनाना होगा. साफ है, अब अगली चुनौती सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सही तरीके से लागू करने की है.
VIDEO: समलैंगिक संबंधों को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
LGBT Activist Somaya खुश हैं. कहते हैं कि आम नगारिकों की तरह समान अधिकार की लड़ाई में ये बड़ी जीत है. कहते हैं एक नई लड़ाई की शुरूआत हुई है. क्या LGBT समुदाय को शादी करने का अधिकार मिलना चाहिये? इस पर LGBT Activist बिसमाया ने कहा, 'उम्मीद है कि अगले 4-5 साल में हमें ये अधिकार भी मिल जाएगा, हो सकता है अगले दो साल में ही मिल जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसी भी आम भारतीय नागरिक को शादी से लेकर इनहेरिटेंस तक को लेकर अधिकार LGBT समुदाय को भी मिलना चाहिए. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मील का पत्थर साबित होगा.'
बिसमाया के दोस्त भुवन ने एनडीटीवी से कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुलिस से लेकर स्कूलों तक को इस मसले पर संवेदनशील बनाने की कोशिश की जाएगी जो एक बड़ी शुरुआत है. समाज की सोच को बदलने में समय लगेगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी शुरुआत की है.
क़ानून ने तो इस समुदाय को वैधता दे दी है, लेकिन क्या समाज खुल कर इनके साथ खड़ा होगा. अदालत की ही तरह ये लोग भी मानते हैं कि इसके लिए सरकार को कोशिश करनी होगी पुलिस-प्रशासन को संवेदनशील बनाना होगा. साफ है, अब अगली चुनौती सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सही तरीके से लागू करने की है.
VIDEO: समलैंगिक संबंधों को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
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