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This Article is From Jul 20, 2023

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक गांव में भूस्खलन से 16 लोगों की मौत, 17 घर तबाह

भूस्खलन बुधवार को रात में करीब 11 बजे मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर खालापुर तहसील के इरशालवाड़ी गांव में हुआ

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक गांव में भूस्खलन से 16 लोगों की मौत, 17 घर तबाह
एनडीआरएफ के जवानों ने गांव के 21 लोगों को बचा लिया है.
मुंबई:

महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के दूर दराज एक के अदिवासी बहुल गांव में जबरदस्त भूस्खलन होने की घटना में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई. इस घटना में 17 घर पूरी तरह तबाह हो गए. एनडीआरएफ के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में 21 लोगों को बचाया गया है.

एक अधिकारी ने बताया कि भूस्खलन बुधवार रात करीब 11 बजे मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर खालापुर तहसील के इरशालवाड़ी गांव में हुआ. यह गांव पहाड़ी ढालान पर स्थित है. उन्होंने बताया कि लगातार मूसलाधार बारिश के चलते हुई इस घटना में 17 घर पूरी तरह तबाह हो गए. गांव में कुल 50 घर हैं. पहाड़ी की तलहटी से इरशालवाड़ी गांव पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे का वक्त लगता है क्योंकि वहां पक्की सड़क नहीं है.

एनडीआरएफ एवं पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटनास्थल से 16 शव निकाले गए हैं, जबकि 21 लोगों को बचाया गया है. रायगढ़ पुलिस ने बताया कि 13 शवों का आपदा स्थल पर ही अंतिम संस्कार कर दिया गया है.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्थिति का जायजा लेने के लिए सुबह घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में लगे कर्मियों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार क्षेत्र में बचाव एवं राहत अभियान चलाने के लिए सभी प्रयास कर रही है. शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह गांव भूस्खलन संभावित गांवों की सूची में नहीं था. अब हमारी प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों को बचाना है.''

शिंदे ने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ खड़ी है. लगातार भारी बारिश हो रही है और मलबे का 20 फुट ऊंचा ढेर लग गया है.''

उन्होंने कहा कि अधिकारी बचाव अभियान के लिए मशीनरी ले जाने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने बताया कि अभियान के लिए दो हेलीकॉप्टर तैयार रखे गए हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण वे उड़ान नहीं भर पाए हैं.

भूस्खलन प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिए (अस्थायी आश्रयों के रूप में) 50 से 60 कंटेनर की व्यवस्था की गई है और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने की योजना है. शिंदे ने कहा, ‘‘हम जल्द ही भूस्खलन प्रभावित ग्रामीणों के उचित पुनर्वास के लिए कदम उठाएंगे. मैंने संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर से बात की है और इन ग्रामीणों के स्थायी पुनर्वास के बारे में तुरंत चर्चा की है. हम इसे युद्ध स्तर पर कर रहे हैं.''

इससे पहले दिन में, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने एक बयान में कहा कि वहां 48 परिवार रह रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘घायलों का चिकित्सा व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. हम मृत व्यक्तियों के परिजनों के लिए उचित मुआवजे की घोषणा करेंगे.''

इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ की चार टीमें स्थानीय अधिकारियों के साथ बचाव कार्य में लगी हुई हैं. उन्होंने बताया कि दमकल दल और कुछ स्थानीय ट्रैकर्स भी बचाव अभियान में मदद कर रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि गांव में लगभग 50 घर हैं, जिनमें से 17 भूस्खलन में दब गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, पड़ोसी ठाणे से भी बचाव दल भी मौके पर भेजे गए हैं.

यह गांव मोरबे बांध से छह किमी दूर है, जो नवी मुंबई को पानी की आपूर्ति करता है. यह माथेरान और पनवेल के बीच स्थित इरशालगढ़ किले के पास स्थित है और यह किला प्रबलगढ़ का एक सहयोगी किला है.

इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है जहां पक्की सड़क नहीं है. मुंबई-पुणे राजमार्ग पर चौक गांव निकटतम शहर है. 30 जुलाई 2014 को पुणे जिले की अंबेगांव तहसील के मालिन गांव में हुए भूस्खलन के बाद यह महाराष्ट्र में सबसे बड़ा भूस्खलन है.

भूस्खलन की उस घटना में लगभग 50 परिवारों वाले पूरे आदिवासी गांव में तबाही मच गई थी और मरने वालों की अंतिम संख्या 153 बताई गई थी. भूस्खलन के पीड़ित शख्स ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि बुधवार रात करीब साढ़े दस बजे वह स्कूल के कमरे में बैठकर अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहा था, तभी उसे तेज आवाज सुनाई दी.

उन्होंने कहा, “मैं खुद को बचाने के लिए स्कूल से बाहर भागा और बाद में पाया कि भूस्खलन हुआ है, जिससे हमारे घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं.” अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता मलबे में फंसे हुए हैं. अब मेरे घर की जगह पर मिट्टी और मलबे के अलावा कुछ नहीं बचा है.”

उन्होंने कहा कि कोई भी बाहर नहीं निकल पाया. प्रत्यक्षदर्शी ने यह भी कहा कि उसका एक भाई है, जो पास के आश्रम (आवासीय) स्कूल में पढ़ता है, और उसे अभी तक उसकी कोई जानकारी नहीं मिली है.

इलाके के घरों में जाने वाली एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने संवाददाताओं को बताया कि घटनास्थल पर 45 घर थे और उनमें से 43 भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं. महिला ने दावा किया कि उन घरों में छह साल तक की उम्र के 25 बच्चों सहित 229 लोग रहते थे. उसने बताया कि इस घटना से वह बेहद दुखी है.

निकट के एक गांव से आई बुजुर्ग महिला ने कहा कि उसके परिवार के पांच सदस्य भूस्खलन के मलबे में दब गए हैं.

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