आप इतिहास में रुचि रखते हों या नहीं, लाल किले के भीतर नवाचार के इस्तेमाल से नवनिर्मित ‘रेड फोर्ट सेंटर' में सभी के लिए कुछ न कुछ है. इसमें 360 डिग्री पर घूमने वाले दृश्यों के अनुभव के साथ ‘ऑगमेंटेड रियलिटी' तकनीक से दिखाई गई तस्वीरें मुगल इतिहास की घटनाओं को ताजा कर देती हैं. सत्रहवीं सदी में बने इस महलनुमा किले में आने वाले आगंतुकों को ऐसा अनुभव पहले नहीं हुआ होगा जैसा ‘रेड फोर्ट सेंटर' को देखने के बाद होगा.
किले के भीतर ब्रिटिशकाल की बैरक में निर्मित यह केंद्र छाता बाजार और नौबतखाने के बीच स्थित है. इसे लाल किले के ‘स्मारक मित्र' डालमिया भारत, संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा डिजाइन किया गया है.
केंद्र में मनोरजंन के लिए पहेलियां, दास्तानगोई जैसे सत्र और छाता बाजार में बेची जाने वाली वस्तुएं मुगल बादशाह शाहजहां के जमाने की याद दिलाते हैं. डालमिया भारत लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पुनीत डालमिया ने कहा, 'हम दुनियाभर से आने वाले आगंतुकों का दिल्ली के बेहतरीन रेड फोर्ट सेंटर में स्वागत करते हैं. इसका लक्ष्य लोगों को दिल्ली में हुए बदलाव और इस भव्य इमारत के वैभवशाली इतिहास से परिचय कराना है.'
इस केंद्र में भूतल पर दुकानों के अलावा ‘ऑगमेंटेड रियलिटी' तकनीक से युक्त फोटोग्राफी की सुविधा भी उपलब्ध है जहां आगंतुक लाल किले की प्राचीर पर भारतीय ध्वज या ‘मयूर सिंहासन' के साथ फोटो खिंचवा सकते हैं जिसे शाहजहां ने बनवाया था.
डालमिया भारत के सीईओ आनंद भारद्वाज के अनुसार, इस बैरक को बड़ी मेहनत से सीमेंट की बजाय चूने से उसी तरह बनाया गया है जैसा कि अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह के बाद बनवाया था. उन्होंने कहा कि उस काल में अंग्रेजों ने लाल किले की संरचना का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा नष्ट कर दिया था.
भारद्वाज ने कहा, 'संरक्षण कार्य फरवरी 2019 में शुरू हुआ था और पूरा होने में तीन साल से थोड़ा कम समय लगा. इस दौरान कोविड के समय (जब स्मारक बंद था) काम किया गया.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं