उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले साल केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा कथित रूप से कार से किसानों को रौंदने और उसके बाद भड़की हिंसा में जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया था- उनकी न्याय पाने की उम्मीद अब दम तोड़ रही है. इस हिंसा में अपने बेटे को खोने वाले किसान चरणजीत सिंह ने कहा कि जब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त नहीं किया जाता, "कुछ नहीं होगा."
चरणजीत सिंह, जिनके 37 वर्षीय बेटे दलजीत सिंह की मौत हो गई थी, ने रोते हुए कहा, "हमारी एक ही मांग है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ."
उन्होंने कहा, "उनके पिता गृह राज्य मंत्री हैं, इसलिए हमें कोई उम्मीद नहीं है. जब तक वह मंत्री रहेंगे तब तक कुछ नहीं होगा. जब तक टेनी को बर्खास्त नहीं किया जाता, तब तक कुछ नहीं हो सकता. वह शक्तिशाली नेता हैं."
आशीष मिश्रा कथित तौर पर अपने पिता के काफिले का हिस्सा थे, जब पिछले साल 3 अक्टूबर को उनके गांव में एक कार्यक्रम के लिए जाते समय प्रदर्शनकारियों का उन्हें सामना करना पड़ा था. पुलिस ने कहा कि वह मौके पर लौटकर आए और चार किसानों और एक पत्रकार पर कार चढ़ा दी. इसके बाद हुई हिंसा में तीन और लोगों की मौत हो गई.
हिंसा की घटना के एक हफ्ते बाद गिरफ्तार किए गए आशीष मिश्रा जेल में हैं. हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन कुछ ही समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया था.
पीड़ित परिवारों का कहना है कि आरोपियों को सजा दिए जाने की उम्मीद दिन-ब-दिन धूमिल होती जा रही है. 18 वर्षीय गुरविंदर सिंह के पिता किसान सुखविंदर सिंह ने कहा कि उन्हें भी न्याय मिलने की बहुत उम्मीद नहीं है.
उन्होंने NDTV से कहा, "देखते हैं कि हमें न्याय मिलता है या नहीं, यह अदालत पर निर्भर करता है. एक साल हो गया है और हम अभी तक वहीं के वहीं खड़े हैं. यहां तक कि ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ है. जब तक यह सरकार सत्ता में है, मामला आगे नहीं बढ़ेगा."
किसानों के वकील मोहम्मद अमान ने कहा, "जनवरी में, उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने स्थानीय अदालत में 5,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था. 10 महीने बीत गए, लेकिन अब तक ट्रायल शुरू नहीं हो सका है.
मोहम्मद अमान ने NDTV से कहा, "आशीष मिश्रा ने पांच अन्य आरोपियों के साथ आरोपमुक्त करने का आवेदन कोर्ट में दायर किया है. इस पर बहस खत्म हो चुकी है. अब कोर्ट को इस पर फैसला करना चाहिए. इसके बाद ही ट्रायल शुरू हो सकेगा."
उन्होंने कहा कि अगर ट्रायल में विलंब होता है तो आरोपी को इससे फायदा (जमानत के मामले में) पहुंच सकता है. वो कह सकते हैं कि अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हो सका है, इसलिए जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा, जो संसद में लखीमपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं, पर भी अपने बेटे से जुड़े मामले में सवाल पूछने पर पत्रकारों को धमकाने के आरोप हैं.
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