
- इस वर्ष विदेशी सांस्कृतिक दलों को आमंत्रित नहीं किया गया, स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियों पर ही जोर रहेगा.
- कुल्लू कार्निवाल में कुल्लू की संस्कृति के साथ आपदा प्रबंधन और सुरक्षित निर्माण पर विशेष प्रस्तुति दी जाएगी.
- उत्सव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस जवान तैनात रहेंगे, पार्किंग रेट निर्धारित रहेगा.
पिछले दो वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव को बेहतर से बेहतरीन करने का प्रयास किया गया है. उत्सव को इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस के कैलेंडर में भी शामिल किया गया और विदेशी सांस्कृतिक दलों ने इसमें अपनी शानदार प्रस्तुतियां दी हैं, लेकिन इस बार प्रदेश को भारी प्राकृतिक आपदा ने झकझोर कर रख दिया है और जिला कुल्लू भी गंभीर रूप से प्रभावित रहा है. ऐसे में जनता के फीडबैक और सुझावों को देखते हुए इस बार विदेशी सांस्कृतिक दलों को आमंत्रित नहीं किया गया है. सभी सांस्कृतिक संध्याओं में प्रदेश के लोक कलाकारों, सांस्कृतिक दलों और स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी और सभी आयोजनों में खर्चों में की गई इस बचत को आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और राहत कार्यों के दिया जायेगा. उत्सव के इस बार केवल एक ही सांस्कृतिक मंच लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र रहेगा और सारी सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन होगा.
कुल्लू दशहरा देवी-देवताओं का उत्सव
अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव समिति कुल्लू की महत्वपूर्ण बैठक अटल सदन में समिति के अध्यक्ष एवं विधायक कुल्लू सुंदर सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा केवल एक सांस्कृतिक पर्व ही नहीं, बल्कि देवी-देवताओं का उत्सव है. इस दौरान ज़िला भर से देवी-देवता कुल्लू पधारते हैं, और उनकी अगवानी करना तथा उन्हें हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराना उत्सव समिति की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि देवताओं के ठहरने, बैठने, भोजन और अन्य आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा. समिति का उद्देश्य यह है कि देवताओं और उनके साथ आने वाले बजंतरियों, गुर व कारदारों को किसी प्रकार की असुविधा न हो. यदि देवताओं और उनके लिए किसी भी प्रकार की नई सुविधा का सृजन अथवा व्यवस्था करने की आवश्यकता पड़ेगी, तो उत्सव समिति इसके लिए पूरी तरह सक्षम और तत्पर है. वहीं समिति इस बात को सुनिश्चित करेगी कि धार्मिक आस्था और परंपरा के अनुरूप इस भव्य उत्सव का आयोजन गरिमा के साथ संपन्न हो. उत्सव के दौरान देवताओं के आगमन मार्गों और समारोह स्थल से लावारिस पशुओं को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर भेजने और उनके लिए अस्थाई बाड़े बनाने के लिए शीघ्र कमेटी गठित करने के निर्देश दिए.
कार्निवाल में दिखेगी कुल्लू सांस्कृतिक झलक
इस बार कल्चरल परेड का आयोजन नहीं किया जा रहा है. पूर्व की भांति कुल्लू कार्निवाल आयोजित किया जा रहा है, जिसमें कुल्लू की संस्कृति की झलक के साथ-साथ सुरक्षित निर्माण और आपदा प्रबंधन पर एक टेबलो प्रस्तुत किए जाएगा.
लोक कलाकार आपदा की पीड़ा से जुड़े
प्रदेश के लोक कलाकार भी आपदा की स्थिति को देखते हुए बेहद कम मेहनताना या कुछ बिना किसी शुल्क के उत्सव में शामिल होने के लिए आगे आ रहे हैं. यह आपसी सहयोग और समाज के प्रति समर्पण की भावना का अनुकरणीय उदाहरण है.
उत्सव आपदा प्रभावितों को समर्पित

अध्यक्ष ने कहा कि इस बार का अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव आपदा प्रभावितों के नाम समर्पित रहेगा. खर्चों में की गई कटौती से बचने वाली राशि सीधे तौर पर आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और सहायता कार्यों में लगाई जाएगी. यह उत्सव परंपरा, देव संस्कृति और सामाजिक उत्तरदायित्व का सामंजस्य प्रस्तुत करेगा.
व्यवस्था और सुरक्षा के निर्देश
बैठक में उत्सव के दौरान कानून व्यवस्था, सुरक्षा, ट्रैफिक और पार्किंग सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश दिए गए. उत्सव के दौरान पुलिस के लगभग 1500 जवान ट्रेफिक, कानून व्यवस्था का जिम्मा संभालेंगे. उन्होंने कहा कि भूत नाथ पुल को दशहरा उत्सव से पूर्व छोटे वाहनों के लिये खोल दिया जायेगा. इसके लिये प्रशासन दिन-रात कार्य कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि दशहरा के दौरान लोगों की सुविधा के लिये पूर्व की भांति शटल बस सुविधा उपलब्ध करवाई जायेगी. उन्होंने कहा कि हर पार्किंग के लिये नगर परिषद द्वारा रेट निर्धारित किये गये हैं और इसके लिये सभी पार्किंग संचालकों को तय रेट ही लेने के आदेश दिये गये हैं. उन्होंने सभी शहर वासियों से अपील की, कि उत्सव के दौरान वाहनों का प्रयोग कम करें.
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