पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव ने सोमवार को इस्लामाबाद में मां और पत्नी से की मुलाकात
नई दिल्ली:
पाकिस्तान ने सोमवार को कथित भारतीय जासूस जाधव को 'भारतीय आतंकवाद का चेहरा' बताया और कहा कि उन्हें राजनयिक पहुंच दिए जाने के बारे में सही समय पर विचार किया जाएगा. पाकिस्तान ने साथ ही यह भी कहा कि जाधव और उनके परिजनों की यह मुलाकात अंतिम नहीं है. पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने जाधव की पत्नी चेतनकुल और मां अवंति से जाधव की मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, "यह अंतिम मुलाकात नहीं है, मुझे यह स्पष्ट रूप से कहना है. "
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वहीं अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में कुलभूषण जाधव के मामले की पैरवी करने वाले वकील हरीश साल्वे का कहना है कि नौसेना के पूर्व अधिकारी की मनोदशा ठीक नहीं है. उन्हें यह विश्वास पत्नी व मां के साथ जाधव की बातचीत के तरीके से हुआ. एक टीवी चैनल से बातचीत में साल्वे का कहना था कि जाधव की बातों से ऐसा लग रहा था, मानो उन्हें किसी चीज की कोई चिंता नहीं है. वह इंतजार कर रहे हैं कि कब उनकी सजा को अमली जामा पहनाया जाए.
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कुलभूषण जाधव की मां एवं पत्नी ने यहां पाकिस्तानी विदेश कार्यालय में उनसे मुलाकात की. हालांकि, जाधव व उनकी मां-पत्नी के बीच ग्लास पैनल लगे हुए थे और उन्होंने इंटरकॉम के जरिए बातचीत की. कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में कथित जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है लेकिन यह मामला अंतर्राष्ट्रीय अदालत में लंबित है.
पाकिस्तान ने कहा, मुलाकात का दिन 25 दिसंबर इसलिए दिया गया
फैसल ने कहा कि जाधव को उसके परिजनों से मिलाने के लिए 25 दिसंबर का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती है. उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं ने जाधव के साथ "खुले तौर पर और उपयोगी बातचीत" की. यह मानवीय आधार पर सकारात्मक पहल थी. हमने जाधव के परिवार के कहने पर मुलाकात के समय में 10 मिनट की बढ़ोतरी की. इसका कानून से कुछ संबंध नहीं है.
प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से भारतीय उप उच्चायुक्त जे. पी. सिंह की मुलाकात के दौरान मौजूदगी के बावजूद इंकार किया कि यह राजनयिक पहुंच थी. सिंह दूर से इस मुलकात का गवाह बने. उन्होंने कहा, "भारतीय राजनयिक मुलाकात देख सकते थे लेकिन उन्हें मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी. जब भारतीय राजनयिक जाधव से बातचीत करते, तो यह राजनयिक पहुंच होती."
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उन्होंने साथ ही कहा कि राजनयिक पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए भारत ने आग्रह किया है और 'सही समय आने पर इसपर विचार किया जाएगा'. फैसल ने कहा कि इस मुलाकात का यह मतलब नहीं है कि जाधव को लेकर पाकिस्तान के पक्ष में कोई बदलाव आया है. उन्होंने जाधव को 'एक जासूस और आतंकवादी बताया जिसे मौत की सजा मिली हुई है.' उन्होंने कहा, "जाधव पाकिस्तान में भारतीय आतंकवाद का चेहरा है. उन्होंने असलम चौधरी की हत्या के जुर्म को कबूला है. उन्होंने पाकिस्तानी लोगों की हत्या पर अफसोस जताया है. वह नौसेना का एक अधिकारी था और रॉ एजेंट होने की बात स्वीकारी है."
साल्वे ने कहा, लोग अपनी भड़ास मातृ भाषा में निकालते हैं
साल्वे को सबसे ज्यादा जो चीज अखरी वह जाधव का अंग्रेजी में बात करना है. उनका कहना है कि मानसिक स्थिति दुरुस्त हो तो कोई भी व्यक्ति अपनी मातृ भाषा में ही बात करता है. चाहे उसे गुस्सा आए या फिर वह किसी को अपशब्द कहना चाहे, वह मातृ भाषा में ही अपनी भड़ास निकालता है, लेकिन यहां तो जाधव ने अंग्रेजी में इस तरह से बात की जैसे वह स्क्रिप्ट पढ़ रहे हो. हरीश साल्वे का कहना है कि कुलभूषण जाधव की मां के लिए इससे ज्यादा निराशा की बात क्या होगी कि उम्रदराज होने के बावजूद वह इतनी दूर तक यात्र करके गईं और उन्हें शीशे के पीछे से बेटे की झलक मिली. वह न तो उन्हें छू सकीं और न ही अपने दिल की बात को बेटे से साझा कर सकीं. बेटे को मिली फांसी की सजा उनके लिए इससे कम दर्दनाक रही होगी. साल्वे का कहना है कि जाधव के हावभाव से ऐसा लगा मानो वह लोगों से कह रहे हों कि आओ और मुङो फांसी पर लटका दो?
VIDEO: पाक में जाधव से मिला परिवार, पाक ने दोहराए अपने आरोप
भारत हमेशा से पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करता रहा है और कहा है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया जहां वह निजी व्यापारिक दौरे पर था और वहां से उसे पाकिस्तान लाया गया. इससे पहले, जाधव की मां और पत्नी सोमवार दोपहर दुबई के रास्ते इस्लामाबाद पहुंची थी.
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फैसल ने कहा कि जाधव को उसके परिजनों से मिलाने के लिए 25 दिसंबर का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती है. उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं ने जाधव के साथ "खुले तौर पर और उपयोगी बातचीत" की. यह मानवीय आधार पर सकारात्मक पहल थी. हमने जाधव के परिवार के कहने पर मुलाकात के समय में 10 मिनट की बढ़ोतरी की. इसका कानून से कुछ संबंध नहीं है.
प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से भारतीय उप उच्चायुक्त जे. पी. सिंह की मुलाकात के दौरान मौजूदगी के बावजूद इंकार किया कि यह राजनयिक पहुंच थी. सिंह दूर से इस मुलकात का गवाह बने. उन्होंने कहा, "भारतीय राजनयिक मुलाकात देख सकते थे लेकिन उन्हें मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी. जब भारतीय राजनयिक जाधव से बातचीत करते, तो यह राजनयिक पहुंच होती."
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उन्होंने साथ ही कहा कि राजनयिक पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए भारत ने आग्रह किया है और 'सही समय आने पर इसपर विचार किया जाएगा'. फैसल ने कहा कि इस मुलाकात का यह मतलब नहीं है कि जाधव को लेकर पाकिस्तान के पक्ष में कोई बदलाव आया है. उन्होंने जाधव को 'एक जासूस और आतंकवादी बताया जिसे मौत की सजा मिली हुई है.' उन्होंने कहा, "जाधव पाकिस्तान में भारतीय आतंकवाद का चेहरा है. उन्होंने असलम चौधरी की हत्या के जुर्म को कबूला है. उन्होंने पाकिस्तानी लोगों की हत्या पर अफसोस जताया है. वह नौसेना का एक अधिकारी था और रॉ एजेंट होने की बात स्वीकारी है."
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साल्वे को सबसे ज्यादा जो चीज अखरी वह जाधव का अंग्रेजी में बात करना है. उनका कहना है कि मानसिक स्थिति दुरुस्त हो तो कोई भी व्यक्ति अपनी मातृ भाषा में ही बात करता है. चाहे उसे गुस्सा आए या फिर वह किसी को अपशब्द कहना चाहे, वह मातृ भाषा में ही अपनी भड़ास निकालता है, लेकिन यहां तो जाधव ने अंग्रेजी में इस तरह से बात की जैसे वह स्क्रिप्ट पढ़ रहे हो. हरीश साल्वे का कहना है कि कुलभूषण जाधव की मां के लिए इससे ज्यादा निराशा की बात क्या होगी कि उम्रदराज होने के बावजूद वह इतनी दूर तक यात्र करके गईं और उन्हें शीशे के पीछे से बेटे की झलक मिली. वह न तो उन्हें छू सकीं और न ही अपने दिल की बात को बेटे से साझा कर सकीं. बेटे को मिली फांसी की सजा उनके लिए इससे कम दर्दनाक रही होगी. साल्वे का कहना है कि जाधव के हावभाव से ऐसा लगा मानो वह लोगों से कह रहे हों कि आओ और मुङो फांसी पर लटका दो?
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