अध्योध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर विपक्षी दल जमकर राजनीति कर रहे हैं. विरोधी गुटों के इस दावे के बीच कि चार शंकराचार्य अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने खुलासा किया कि उनका निर्णय रामलला की मूर्ति की स्थापना के दौरान स्थापित परंपराओं से विचलन में निहित है. एएनआई से बात करते हुए स्वामी निश्चलानंद महाराज ने बताया कि चारों शंकराचार्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में क्यों शामिल नहीं हो रहे हैं.
स्वामी निश्चलानंद महाराज कहा, "शंकराचार्य अपनी गरिमा बनाए रखते हैं. यह अहंकार की वजह से नहीं है. क्या हमसे उम्मीद की जाती है कि जब प्रधानमंत्री रामलला की मूर्ति स्थापित करेंगे, तो हम बाहर बैठेंगे और तालियां बजाएंगे? एक 'धर्मनिरपेक्ष' सरकार की मौजूदगी का मतलब परंपरा का विनाश नहीं है."
विपक्ष का मिला एक मुद्दा
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पहले ही राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस बीच, चारों शंकराचार्यों के कथित तौर पर कार्यक्रम में शामिल नहीं होने को लेकर विपक्ष को एक और मुद्दा मिल गया है. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने दावा किया है कि 'अधूरे मंदिर' में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह पर आपत्ति जताने के बाद शंकराचार्यों ने 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल न होने का फैसला किया है.
शंकराचार्य के कथन का महत्व
इससे पहले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकराते हुए कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे शंकराचार्य (धार्मिक गुरु) भी राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, जिससे पता चलता है कि इसमें शामिल नहीं होने का कारण महत्वपूर्ण है. गहलोत ने कहा, "जब उन्होंने इस आयोजन का राजनीतिकरण किया और निर्णय लिया, तो हमारे शंकराचार्य, जो सनातन धर्म के शीर्ष पर हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं, उन्होंने कहा कि वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. यह एक ऐसा मुद्दा बन गया है कि सभी शंकराचार्य कह रहे हैं कि वे इसका बहिष्कार करेंगे. यदि शंकराचार्य ऐसा कह रहे हैं, तो इसका अपना महत्व है."
अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
दिल्ली के मंत्री और आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि बीजेपी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर राजनीतिक ठप्पा लगाकर देश की दो तिहाई आबादी को भगवान राम से अलग करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, "प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए अनुष्ठानों की एक परंपरा है. यदि यह आयोजन धार्मिक है, तो क्या यह चार पीठों के शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में हो रहा है? चारों शंकराचार्यों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि एक अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती."
अयोध्या में मंदिर के भव्य उद्घाटन के लिए तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की उम्मीद है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्ति स्थापित करने के लिए 22 जनवरी की दोपहर का समय निर्धारित किया है. अयोध्या में राम लला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए वैदिक अनुष्ठान मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी को शुरू होने वाले हैं.
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