Khargapur Election Results 2023: जानें, खरगापुर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

खरगापुर विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 218334 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 63066 ने बीजेपी उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी को वोट देकर जिताया था, जबकि 51401 वोट पा सके कांग्रेस प्रत्याशी चंदा सुरेंद्र सिंह गौर 11665 वोटों से चुनाव हार गए थे.

Khargapur Election Results 2023: जानें, खरगापुर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

Assembly Elections 2023 के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा, और चुनाव परिणाम (Election Results) 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

हिन्दुस्तान का दिल कहलाने वाले और देश के बीचोंबीच बसे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections 2023) राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र में मौजूद है टीकमगढ़ जिला, जहां बसा है खरगापुर विधानसभा क्षेत्र, जो अनारक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 218334 मतदाता थे, और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी को 63066 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार चंदा सुरेंद्र सिंह गौर को 51401 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 11665 वोटों से चुनाव हार गए थे.

इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में खरगापुर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चंदा सुरेंद्र सिंह गौर ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 59771 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी को 54094 वोट मिल पाए थे, और वह 5677 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.

इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेएसएच उम्मीदवार अजय यादव को कुल 23775 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि बीएसपी प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह गौर (दद्दा) दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 22769 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 1006 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.

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वैसे, गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश सूबे में 114 सीटों पर जीतकर कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि 230-सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में 109 सीटें ही आ पाई थीं. बाद में कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपा था और कमलनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. लेकिन फिर डेढ़ साल बाद ही राज्य में नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ BJP में शामिल हो गए. इससे बहुमत BJP के पास पहुंच गया और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद, राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव भी करवाए गए और BJP ने उनमें से 19 सीटें जीतकर मैजिक नंबर के पार पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. फिलहाल शिवराज सिंह 18 साल की अपनी सरकार की एन्टी-इन्कम्बेन्सी की लहर के बावजूद अगला कार्यकाल हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं, और पार्टी, यानी BJP ने अपने सारे दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. दूसरी तरफ, कांग्रेस भी एन्टी-इन्कम्बेन्सी की ही लहर पर सवार होकर सत्ता में वापसी का सपना संजोए बैठी है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इस बार उसकी संभावनाएं पहले से बेहतर हैं. अब कामयाबी किसे मिलेगी, यह तो 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही तय करेंगे.