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क्या इन बयानों की वजह से केसी त्यागी को देना पड़ा इस्तीफा, क्या असहज हुई बीजेपी

जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वो बीते साल के कुछ महीनों को छोड़कर साल 2000 से इस पर पर थे.त्यागी का कहना है कि उन्होंने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा पिछले साल ही दे दिया था.

क्या इन बयानों की वजह से केसी त्यागी को देना पड़ा इस्तीफा, क्या असहज हुई बीजेपी
नई दिल्ली:

बिहार में सरकार चला रहे जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वो बीते साल के कुछ महीनों को छोड़कर साल 2000 से इस पर पर थे.त्यागी का कहना है कि उन्होंने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा पिछले साल ही दे दिया था. उनका कहना है कि वो अभी भी पार्टी में बने हुए हैं. जेडीयू ने त्यागी की जगह राजीव रंजन को नया राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है. लेकिन राजनीतिक हलके में त्यागी के इस्तीफे के पीछे हाल में दिए उनके बयानों को वजह बताया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि त्यागी के कुछ बयानों से एनडीए में जेडीयू की सहयोगी बीजेपी असहज पा रही थी. त्यागी का स्पष्टवादी नेता के रूप में जाना जाता है. 

किन मुद्दों पर दिखाया था सरकार से अलग रुख

केसी त्यागी ने इस्तीफा ऐसे समय दिया है, जब वो उन मुद्दों पर अलग राय रख रहे थे, जो बीजेपी के बहुत प्रिय थे.त्यागी के इन बयानों से जेडीयू के बीजेपी से रिश्ते सहज नहीं रह गए थे.त्यागी के हाल के बयानों में केंद्र सरकार की नौकरियों में लैटरल इंट्री, इजरायल-हमास युद्ध, अग्निवीर योजना, जातीय जनगणना और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे शामिल थे. इजरायल-हमास युद्ध के मुद्दे पर तो वो  सपा-कांग्रेस और आप के साथ खड़े नजर आए.कहा जा रहा है कि त्यागी के इस रुख से पार्टी खुश नहीं थी. एससी-एसटी आरक्षण में सब कैटेगरी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में आए त्यागी के बयान से भी पार्टी खुश नहीं थी.त्यागी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वसनीय लोगों में से एक हैं. 

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त्यागी ने कुछ दिन पहले यूपीएससी के जरिए लैटरल इंट्री को लेकर भी बयान दिया था. एनडीए में शामिल दो दलों ने इसका विरोध किया था. इनमें जेडीयू और लोजपा (रामविलास) शामिल है. लैटरल इंट्री पर त्यागी ने कहा था कि सरकार ने विपक्ष के हाथ में हथियार थमा दिया है.इससे राहुल गांधी दलितों के चैंपियन बन जाएंगे.

क्या बीजेपी का कोई दवाब था

जेडीयू नेताओं का कहना है कि हालांकि त्यागी के इन बयानों को लेकर बीजेपी की ओर से कोई दबाव नहीं था.लेकिन कहा यह जा रहा है कि एनडीए में शामिल दलों में सामंजस्य और तालमेल बनाए रखने के लिए बीजेपी उनसे सलाह-मशविरा कर रही है, ताकि एनडीए एक नजर आए.विपक्ष और सहयोगी दलों के विरोध के बाद सरकार ने लैटरल एंट्री से जुड़े विज्ञापन को वापस ले लिया. त्यागी ने इसे नीतीश कुमार के नेतृत्व में जारी सामाजिक न्याय की राजनीति की जीत बताया. 

कौन हैं केसी त्यागी

केसी त्यागी का पूरा नाम किशन चंद्र त्यागी है. उनका जन्म गाजियाबाद के एक किसान परिवार में पैदा हुआ. समाजवादी रुझान वाले त्यागी पिछले कई दशक से भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं. त्यागी का नाम पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के करीबियों में शुमार रहा. वो उनके मीडिया सलाहकार थे.वो जब जनता दल में आए तो उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था.त्यागी पहली बार जनता दल के टिकट पर 1989 में लोकसभा पहुंचे थे. उन्होंने गाजियाबाद सीट से कांग्रेस नेता बीपी मौर्य को हराया था.त्यागी का यह दूसरा चुनाव था. इससे पहले वो 1984 में गाजियाबाद-हापुड़ लोकसभा सीट पर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे. वहां उन्हें कांग्रेस के केदारनाथ सिंह ने हराया था.त्यागी ने 1996 और 2004 के चुनाव में मेरठ से लोकसभा में पहुंचने की कोशिश की थी.लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी.

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