कच्चाथीवू द्वीप (Katchatheevu Island) को लेकर छिड़े विवाद में अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) भी कूद पड़े हैं. चिदंबरम ने कच्चाथीवू द्वीप विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी और सवाल किया कि विदेश मंत्री इस मुद्दे को लेकर कलाबाजी क्यों कर रहे हैं. साथ ही चिदंबरम ने कहा कि एक "सौम्य उदार विदेश सेवा के अधिकारी" से "RSS-BJP के मुखपत्र" बनने तक की डॉ. जयशंकर की यात्रा "कलाबाजी के इतिहास में दर्ज" की जाएगी.
डॉ. जयशंकर ने आज कच्चाथीवू द्वीप विवाद को लेकर कांग्रेस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोप को दोगुना कर दिया, जिसके बाद चिदंबरम ने जवाबी हमला बोला है.
संसद में दशकों पुरानी चर्चाओं का हवाला देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकारें द्वीप के प्रति उदासीन थीं. जयशंकर ने कहा कि कच्चाथीवू द्वीप नेहरू के लिए एक सिरदर्द था. उन्होंने कहा कि यह इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में हुआ, जब भारत ने द्वीप के पास मछली पकड़ने का अधिकार छोड़ दिया.
It is true that Fishermen were detained in the last 50 years. Likewise, India has detained many SL fishermen
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 1, 2024
Every government has negotiated with Sri Lanka and freed our fishermen
This has happened when Mr Jaishankar was a foreign service officer and when he was Foreign…
तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई की आरटीआई के जवाब पर आधारित एक मीडिया रिपोर्ट के बाद यह मामला चर्चा का विषय बन गया है. डॉ. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि यह मामला अचानक नहीं उठा है. यह एक जीवित मुद्दा है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और डीएमके इस मामले को ऐसे ले रहे हैं जैसे यह उनकी जिम्मेदारी है.
कच्चाथीवू को लेकर कांग्रेस पर बरसे PM मोदी
श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों की बार-बार गिरफ्तारी ऐसा मुद्दा है, जो लगातार लोगों के बीच गूंजता रहा है. लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही भाजपा इस मामले को तूल देना चाहती है, क्योंकि पार्टी दक्षिणी के इस राज्य में बेहतर प्रदर्शन के प्रयासों में जुटी है.
चिदंबरम ने एक्स पर कहा, "यह सच है कि पिछले 50 सालों में मछुआरों को हिरासत में लिया गया. ऐसे ही भारत ने श्रीलंका के कई मछुआरों को हिरासत में लिया है. हर सरकार ने श्रीलंका के साथ बातचीत की है और मछुआरों को मुक्त कराया है. ऐसा तब हुआ है जब जयशंकर एक विदेश सेवा के अधिकारी थे और जब वह विदेश सचिव थे और जब वह विदेश मंत्री हैं.”
उन्होंने कहा, "जयशंकर की कांग्रेस और डीएमके की निंदा करने से क्या बदलाव आया है? क्या जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और भाजपा सत्ता में थी और तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन में थी, तब श्रीलंका ने मछुआरों को हिरासत में नहीं लिया गया था? क्या श्रीलंका ने मछुआरों को हिरासत में नहीं लिया था, जब मोदी 2014 से सत्ता में थे?"
Tit for tat is old. Tweet for Tweet is the new weapon.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 1, 2024
Will Foreign Minister Mr. Jaishankar please refer to the RTI reply dated 27-1-2015.
I believe that Mr Jaishankar was the FM on 27-1-2015.
The Reply justified the circumstances under which India acknowledged that a small…
कांग्रेस नेता ने कहा, "जैसे को तैसा पुराना है" और "ट्वीट के बदले ट्वीट नया हथियार है."
कलाबाजी क्यों कर रहे हैं? : चिदंबरम
तमिलनाडु के नेता और पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने पूछा, "क्या विदेश मंत्री जयशंकर कृपया 27-1-2015 के आरटीआई जवाब का संदर्भ लेंगे. मैं मानता हूं कि जयशंकर 27-1-2015 को वित्त मंत्री थे. जवाब ने उन परिस्थितियों को उचित ठहराया है, जिसके तहत भारत ने स्वीकार किया कि एक छोटा द्वीप श्रीलंका का है. विदेश मंत्री और उनका मंत्रालय अब कलाबाजी क्यों कर रहे हैं?"
चिदंबरम ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच समझौते से द्वीप से तमिल शरणार्थियों को भारत में आने और बसने में मदद मिली. उन्होंने कहा, "इंदिरा गांधी ने यह क्यों स्वीकार किया कि यह श्रीलंका का है? लगभग 6 लाख तमिल श्रीलंका में पीड़ित थे. उन्हें शरणार्थी के रूप में भारत आना पड़ा और यहीं बसना पड़ा. इस समझौते के परिणामस्वरूप, 6 लाख तमिल भारत आए. वे पिछले 50 सालों से इस देश में रह रहे हैं, उनके परिवार यहीं हैं. वे स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं."
DMK ने भी भाजपा पर बोला हमला
डीएमके ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी पर हमला बोला है. डीएमके के ए सरवनन ने कहा कि विदेश मंत्री ने कुछ भी नया नहीं कहा है. उन्होंने कहा, "सवाल यह है कि भाजपा अब इस मुद्दे को क्यों उठा रही है. क्योंकि वे डरे हुए हैं, वे जानते हैं कि वे चुनाव हारने वाले हैं और तमिलनाडु में उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री इस सवाल का जवाब नहीं दे सकते हैं कि तमिलनाडु के लिए बाढ़ राहत क्यों नहीं दी गई. वह अब झूठी बातें सामने ला रहे हैं.''
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