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कश्मीर डायरी : ऐसी क्या बात है कि सिर्फ उमर अब्दुल्ला ही दो सीटों पर लड़ रहे विधानसभा चुनाव?

Jammu Kashmir Assembly Election: लोकसभा चुनाव में इंजीनियर रशीद से तीन लाख वोटों से हार चुके उमर अब्दुल्ला इस बार कोई चांस नहीं लेना चाहते, अब्दुल्ला परिवार की पारंपरिक सीट गांदरबल के अलावा बडगाम से भी नामांकन दाखिल किया

कश्मीर डायरी : ऐसी क्या बात है कि सिर्फ उमर अब्दुल्ला ही दो सीटों पर लड़ रहे विधानसभा चुनाव?
जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला इन दिनों चुनाव प्रचार में जुटे हैं.
श्रीनगर:

Jammu Kashmir Election: जम्मू कश्मीर का चुनाव बहुत दिलचस्प कगार पर आ चुका है. आज यानी पांच सितंबर को दूसरे दौर के नॉमिनेशन फाइल करने का आखिरी दिन है. ताजा जानकारी के मुताबिक उमर अब्दुल्ला दूसरी सीट यानी बडगाम से भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के इस बार के विधानसभा चुनाव में वे अकेले उम्मीदवार हैं जो दो जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि, “ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि रात में खबर आई कि सर्जन बरकती, जिनका नामांकन शोपियां से खारिज हो गया है, वे शायद गांदरबल से चुनाव लड़ सकते हैं, और इस बार उमर कोई चांस नहीं लेना चाहते थे इसीलिए दूसरी जगह से भी नामांकन भरा है.” लोकसभा चुनाव में उमर को इंजीनियर रशीद ने तीन लाख वोटों से हराया था. 

उमर ने इससे पहले बुधवार को गांदरबल निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया था. नामांकन भरने के बाद एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए उमर को अपनी टोपी उतारते और लोगों से समर्थन मांगते देखा गया. उमर ने कहा, “आज, मैं केवल एक ही बात कहूंगा- मेरी पगड़ी, मेरा सम्मान और यह टोपी आपके हाथों में है.”

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गांदरबल अब्दुल्ला परिवार की पारंपरिक सीट

गांदरबल नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए सेफ सीट मानी जाती है. यहां से शेख अब्दुल्ला ने सन 1977 में जीत हासिल की थी. उनके बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला ने 1983, 1987 और 1996 के चुनाव में विजय हासिल की. ​बाद में सन 2008 के चुनाव में ​उमर अब्दुल्ला इस निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए. साल 2014 में शेख इशफाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर गांदरबल सीट पर जीत दर्ज की थी. इससे पहले, वे कांग्रेस के टिकट पर दो से अधिक बार चुनाव लड़ चुके थे लेकिन असफल रहे थे. 

कश्मीर घाटी में इस बार बहुत सारे निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. उमर ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी को निशाना भी बनाया है. उन्होंने कहा, “बीजेपी हर जगह निर्दलीय उम्मीदवार खड़े कर रही है और सत्ता तक पहुंचने के लिए उनका इस्तेमाल भी करेगी.”

रैली में दिखा राहुल की यात्रा का असर 

दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की 2023 की भारत जोड़ो यात्रा का असर डोरू रैली में साफ दिखाई दिया. कई हजार लोग उन्हें सुनने के लिए वहां पहुंचे. युवा वर्ग पर खास तौर पर रैली का प्रभाव दिखा. जम्मू कश्मीर में यह विधानसभा चुनाव स्वाभिमान और अपनी पहचान वापस लाने का चुनाव बन गया है. 

रैली में राहुल गांधी ने सबको याद दिलाया कि किस तरह राज्य का दर्जा उनसे छीन लिया गया. राहुल ने कहा, “राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में बहुत फर्क होता है. स्टेट में असेंबली होती है, लोगों की आवाज होती है उनके अधिकार होते हैं.”

चूंकि जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं इसीलिए इन चुनावों को लेकर प्रदेश के लोग भी खूब उत्साहित हैं. जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ़्रेंस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी के निशाने पर एनसी, पीडीपी और कांग्रेस

उधर बीजेपी लगातार नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी पर वार करती नजर आई. केंद्रीय राज्यमंत्री-पीएमओ जितेंद्र सिंह ने एनडीटीवी से कहा “राहुल गांधी लाल चौक पर कबाब और आइसक्रीम इसलिए खा पाते हैं क्योंकि सुरक्षा का स्तर मोदी सरकार ने ठीक किया है.” 

बीजेपी के जम्मू कश्मीर के इंचार्ज तरुण चुग जॉकी ने एनडीटीवी से कहा, “कांग्रेस पार्टी जम्मू कश्मीर में सिर्फ एक प्रॉक्सी पार्टी है.”

बीजेपी के नेता राम माधव ने भी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीडीपी पर हमला बोला. उन्होंने कहा, “पूर्व उग्रवादी एनसी और पीडीपी के लिए अभियान चलाने में सबसे आगे हैं. एनसी और पीडीपी का घोषणा-पत्र बुरे पुराने दिनों को दर्शाता है, और उन्हें हराना महत्वपूर्ण है. दो राजवंशों का जाल, जनता को उन्हें अलविदा कह देना चाहिए और राजवंशों से मुक्त हो जाना चाहिए. हम पुराने राजवंशों से छुटकारा पाने के लिए युवा नेताओं का समर्थन कर रहे हैं.”

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