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This Article is From Feb 07, 2022

कर्नाटक में 'हिजाब विवाद' के बीच कॉलेज के पास 'घातक हथियार' ले जा रहे दो व्यक्ति अरेस्ट

कर्नाटक में स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले हिजाब या हेडस्कार्फ़ पर जारी विवाद के बीच शनिवार को हिंदू छात्रों का 1 मार्च निकला जिसमें वे भगवा स्कार्फ पहने थे और नारे लगाते हुए चल रहे थे. इस घटना ने राज्य सरकार को "समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले" कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया.

कर्नाटक में 'हिजाब विवाद' के बीच कॉलेज के पास 'घातक हथियार' ले जा रहे दो व्यक्ति अरेस्ट
बेंगलुरु:

कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी जिले के कुंडापुर में एक सरकारी कॉलेज में छात्राओं के क्लास में हिजाब पहनने (Hijab Protest) के अधिकार को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान 'घातक हथियार' ले जा रहे दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन पर हत्या के प्रयास, घातक हथियारों से दंगा करने और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है. ये लोग शुक्रवार को विरोध स्थल के आसपास घूमते हुए देखे गए पांच लोगों के समूह का हिस्सा थे. ऐसा भी माना जा रहा है कि ये छात्रों के आंदोलन का हिस्सा नहीं थे. पुलिस ने NDTV को बताया कि एक आरोपी पास के गांव का है.  साथ ही अन्य तीन आरोपियों की तलाश की जा रही है.

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि उनका किसी राजनीतिक जुड़ाव है या नहीं. कुंदापुर पुलिस को इस संबंध में सूचना मिली थी, जिसके बाद वह धरना स्थल पर पहुंची और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. तीन लोग मौके से भागने में सफल रहे. गिरफ्तार किए गए लोगों में 41 वर्षीय रजब और 32 वर्षीय अब्दुल मजीद हैं, जिनके खिलाफ सात मामले दर्ज हैं. दोनों के खिलाफ कुंडापुर कस्बे के पास गंगोली गांव के थाने में मामला दर्ज कराया गया था.

बता दें कि कर्नाटक में स्कूलों और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले हिजाब या हेडस्कार्फ़ पर जारी विवाद के बीच शनिवार को हिंदू छात्रों का एक मार्च निकला जिसमें वे भगवा स्कार्फ पहने थे और नारे लगाते हुए चल रहे थे. इस घटना ने राज्य सरकार को "समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले" कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया.

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गौरलतब है कि कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर विवाद के बढ़ने के बीच राज्य सरकार ने शनिवार को ऐसे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया जो स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और लोक व्यवस्था को बिगाड़ते हैं. सरकारी आदेश में कहा गया है, ‘‘कर्नाटक शिक्षा कानून, 1983 के खंड 133 (2) को लागू किया गया है जिसमें यह कहा गया है कि एक समान शैली की पोशाक अनिवार्य रूप से पहनी जानी चाहिए. निजी स्कूल प्रशासन अपनी पसंद के परिधान का चयन कर सकता है.''

सरकारी आदेश में कहा गया है कि छात्र-छात्राओं को कॉलेज विकास समिति या महाविद्यालयों के प्रशासनिक बोर्ड की अपीलीय समिति द्वारा निर्धारित की गई पोशाक पहननी होगी. आदेश के अनुसार, ‘‘प्रशासनिक समिति द्वारा पोशाक का चयन नहीं करने की स्थिति में समानता, अखंडता और कानून व्यवस्था को भंग करने वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.'' सरकार के आदेश में कहा गया है कि कर्नाटक शिक्षा कानून-1983 में कहा गया है कि सभी छात्रों को एक समान पोशाक पहननी चाहिए ताकि वे एक समान दिखें और इस तरह से व्यवहार करें कि कोई भेदभाव न हो.

आदेश में कहा गया है कि छात्रों के लाभ के लिए राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक साझा कार्यक्रम तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि हालांकि, शिक्षा विभाग ने देखा है कि कुछ शैक्षणिक संस्थानों में लड़के और लड़कियों ने अपने धर्म के अनुसार व्यवहार करना शुरू कर दिया है, जिससे समानता और एकता प्रभावित होती है.'' आदेश में पोशाक के पक्ष में भारत के सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों फैसलों का भी हवाला दिया गया.

राज्य में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या महाविद्यालयों में कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जबकि हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र भगवा शॉल लेकर शैक्षणिक संस्थान आ रहे हैं. इस मुद्दे पर विवाद जनवरी में उडुपी और चिक्कमंगलुरु में शुरू हुआ था, जहां छात्राएं हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों में भी आए. बाद में कुछ अन्य जगहों से भी इस तरह के मामले आए जहां मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की अनुमति की मांग की. इस बीच, हिजाब विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है. राज्य में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा कि सरकार शिक्षा व्यवस्था का ‘तालिबानीकरण' करने की अनुमति नहीं देगी. वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस मुस्लिम लड़कियों के समर्थन में सामने आई है.

ये VIDEO भी देखें- कर्नाटक : कॉलेजों में पहले भी मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर जाती थीं, अब क्यों होने लगा विरोध?

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