कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 (Karnataka Assembly Elections Result 2023) के नतीजे 13 मई को आने वाले हैं. चुनाव को लेकर एग्जिट और ओपिनियन पोल्स (Karnataka Exit Polls) बंटे हुए हैं. कोई कांग्रेस को बहुमत दिला रहा है, तो कोई बीजेपी के सत्ता बरकरार रखने का अनुमान जता रहा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों का दावा है कि कर्नाटक में सरकार उनकी ही बनेगी. दोनों पार्टियों के अलावा जेडीएस तीसरी खिलाड़ी है. छोटी पार्टी होने के बावजूद जेडीएस, कांग्रेस और बीजेपी के साथ तीन बार सरकार बना चुकी है. अगर जेडीएस को चुनाव में 25 से 30 सीटें मिलती हैं, तो एक बार फिर वो किंग या किंग मेकर बनने की कोशिश करेगी. कम सीट होने से सेंधमारी का खतरा भी इसी पार्टी पर होगा.
वहीं, कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन होगा या किस पार्टी से मुख्यमंत्री होगा. इस पर भी राजनीतिक जानकारों की नजर है. सीएम पद के लिए कांग्रेस और बीजेपी से कई दावेदार हैं. मसलन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवाकुमार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सिद्धारमैय्या, कैंपेन समिति के अध्यक्ष एमबी पाटिल. वहीं, बीजेपी से वरिष्ठ नेता मुरगेश निरानी, बसवन गौड़ पाटिल और मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शामिल हैं.
इनमें चौंकाने वाला नाम जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी का भी है. कुमारस्वामी दो बार सब से कम सीटें जीतने के बाद भी मुख्यमंत्री बन चुके हैं. इस बार अगर त्रिशंकु विधानसभा हुई, तो जेडीएस एक बार फिर अहम भूमिका निभाएगी. हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही अपने बूते पर सरकार बनाने का भरोसा है.
बीजेपी कैंपेन समिति की शोभा करणलाजे ने कहा, "हमारे कार्यकर्ताओं ने बूथ से जो रिपोर्ट भेजी है, उससे साफ है कि हमें पूर्ण बहुमत मिलेगा. हम अपने बूते पर सरकार बनाएंगे." वहीं, कांग्रेस के कार्यकारी उपाध्यक्ष सलीम अहमद ने कहा, "हमें किसी भी पार्टी से मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी. हमें पूरा भरोसा है कि हम अपने ही बल पर सरकार बनाएंगे."
साल 2008 में 110 और 2018 में 104 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने जोड़-तोड़ कर बहुमत हासिल किया. कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को अपने साथ जोड़ा. उन्हें सरकार में मंत्री बनाने का वादा किया और सरकार बना ली. अब जबकि एक बार फिर त्रिशंकु विधानसभा की संभावना है, तो ऐसे में कहा जा रहा है कि जनता दल सेक्युलर इस बार सेंधमारी का शिकार हो सकती है.
अगर बीजेपी और कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए नंबर कम पड़े, तो कांग्रेस "ऑपरेशन हस्त" और बीजेपी "ऑपरेशन कमल" को तरजीह दे सकती है, क्योंकि जेडीएस में इस बार देवेगौड़ा परिवार की वजह में फूट है. ऐसे में कम विधायक होने से सेंधमारी का पहला टारगेट जेडीएस ही होगी.
कर्नाटक में अब तक गठबंधन की सरकार 5 साल का टाइम पूरा नहीं कर पाई है. ऐसे में देखना है कि इस बार कर्नाटक की जनता ने क्या फैसला किया है. खंडित जनादेश या फिर स्थाई सरकार के लिए एक पार्टी को जनादेश दिया गया है.
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