
- कर्नाटक कांग्रेस में इन दिनों मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच तनाव बढ़ा है.
- इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे को समझौता उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है.
- सिद्धारमैया और शिवकुमार ने एकता का संदेश देने की कोशिश की, फिर भी 2.5 साल के फॉर्मूले की चर्चा जारी है.
- बीजेपी ने कांग्रेस की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिद्धारमैया विधायकों का भरोसा खो चुके हैं.
कर्नाटक कांग्रेस में इन दिनों घमासान मचा हुआ है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भले ही गोल-मोल बयान देते रहें, लेकिन दोनों के बीच तनाव खुलकर सामने आ चुका है. इस खींचतान में एक तीसरे नाम की भी चर्चा हो रही है. वो नाम है- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे का, जो कि इन दिनों अचानक चर्चा में आ गया है. पार्टी के भीतर बढ़ती खींचतान को देखते हुए अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रियांक किसी 'समझौता उम्मीदवार' के रूप में सामने आ सकते हैं?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री पद पर अंतिम फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेना है. हालांकि बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस की 'अस्पष्टता' पर सवाल उठाए हैं.
सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार
1 जुलाई को मैसूरु में सिद्धारमैया और शिवकुमार ने मीडिया के सामने हाथ मिलाकर एकता का संदेश देने की कोशिश की. सिद्धारमैया ने दावा किया कि सरकार पांच साल तक "चट्टान की तरह" चलेगी. लेकिन फिर भी 2.5-2.5 साल के सीएम पद के फॉर्मूले की चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने तो दावा कर दिया कि शिवकुमार को कांग्रेस के 100 विधायकों का समर्थन है और सिद्धारमैया अब विधायकों का भरोसा खो चुके हैं. उधर, कांग्रेस मंत्री के.एन. राजन्ना ने कहा कि पार्टी में अब बहुत सारे ‘पावर सेंटर' बन चुके हैं और बड़ा बदलाव सितंबर के बाद हो सकता है.
प्रियांक खरगे: नया नाम, नई चर्चा
ऐसे माहौल में प्रियांक खरगे का नाम एक संभावित तीसरे विकल्प के रूप में सामने आया है. वे युवा हैं, दो बार के विधायक हैं और उनके ऊपर किसी गुट की सीधी छाया नहीं है. हाल ही में आरएसएस पर बैन लगाने और ईवीएम हैकाथॉन जैसे बयानों के चलते वे सुर्खियों में भी रहे हैं. कुछ कांग्रेस नेताओं का मानना है कि वह दोनों गुटों के बीच संतुलन बना सकते हैं.
फॉर्मूले पर फंसी बात
कहा जाता है कि 2023 में जब कांग्रेस सत्ता में आई थी, तब सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों 2.5-2.5 साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे. लेकिन अब तक इस पर कोई औपचारिक फैसला नहीं हुआ है. शिवकुमार गुट और लिंगायत नेता अब दबाव बढ़ा रहे हैं कि वादा निभाया जाए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला और खुद प्रियांक खरगे ने बयान दिया है कि मुख्यमंत्री बदलने पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, और यह निर्णय पार्टी हाईकमान को लेना है.
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