कर्नाटक (Karnataka) और महाराष्ट्र (Maharashtra) ने दोनों राज्यों के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ प्रबंधन और जल आपूर्ति के संबंध में शनिवार को बेहतर समन्वय और संपर्क कायम करने का फैसला किया है.मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने दोनों राज्यों के बीच पानी से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए बेंगलुरु में महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की.
बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि दोनों राज्यों ने बाढ़ को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए कृष्णा और भीमा नदी बेसिन में वर्षा और जलाशयों से पानी छोड़ने पर रियल टाइम डेटा को साझा करने पर सहमत हुए हैं.
सीएम येदियुरप्पा ने कहा, "हमने कृष्णा और भीमा नदी घाटियों में बाढ़ प्रबंधन के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. मंत्री स्तर पर दो राज्यों के बीच सचिवालय और क्षेत्रीय स्तर पर बेहतर समन्वय और संपर्क करने का निर्णय लिया गया है."
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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संकल्प लिया गया कि एक तकनीकी टीम महाराष्ट्र से चार टीएमसी पानी लाने और इसके बदले में पश्चिमी राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी छोड़ने की दिशा में काम करेगी. दोनों राज्य दूधगंगा बांध परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने पर भी सहमत हुए. महाराष्ट्र भी इसके लिए फंड देगा.
पाटिल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "महाराष्ट्र दूधगंगा बांध को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त धन की व्यवस्था करेगा." कृष्णा बेसिन क्षेत्र में अप्रैल और मई के दौरान पानी की कमी की ओर इशारा करते हुए, बोम्मई ने कहा कि 2013 से, महाराष्ट्र राज्य को पानी छोड़ने के लिए पैसे वसूल रहा है.
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हालांकि, इस बात पर सहमति बनी है कि कर्नाटक पानी के लिए भुगतान नहीं करेगा लेकिन बारिश के मौसम में महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित जठ तालुक को पानी की आपूर्ति करेगा. पिछले तीन वर्षों से महाराष्ट्र के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश से कृष्णा और भीमा नदी बेसिन बाढ़ का सामना कर रहा है.
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