विज्ञापन

युद्ध के दौरान हाथ में खाई थी गोली... लेकिन आज भी क्यों उदास है करगिल का ये शूरवीर

भारत ने साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध पर विजय हासिल की थी. भारत की जीत की 'रजत जयंती' के अवसर पर 24 से 26 जुलाई तक कारगिल जिले के द्रास में भव्य समारोह का आयोजन किया गया है

युद्ध के दौरान हाथ में खाई थी गोली... लेकिन आज भी क्यों उदास है करगिल का ये शूरवीर
हाजीपुर:

25 साल पहले करगिल में हुए युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेने वालों में वैशाली जिले के सेवानिवृत नायक सुरेंद्र सिंह भी शामिल थे. हाजीपुर प्रखण्ड क्षेत्र के चांदी गांव में रहने वाले सेवानिवृत नायक सुरेंद्र सिंह आज भी जब बात करते है तो 25 वर्ष पहले वाला जोश और जुनून भर आता है. सेवानिवृत नायक सुरेन्द सिंह ने बताया कि करगिल से बताली के लिए 9 प्लाटून को भेजा जाना था. मेजर शर्मानन्द को जानकारी मिली कि बताली में 4-5 दुश्मन बैठे हुए थे. फिर क्या मेजर शर्माननद के साथ एक प्लाटून निकल पड़ी, लेकिन वहां जाने के बाद पाकिस्तानी दुश्मनों की संख्या लगभग 25-26 थी. अपने मेजर के नेतृत्व में हम लोगों ने मोर्चा संभालते ही दोनों साइड से फायरिंग शुरू हो गई.

उन्होंने आगे बताया कि कुछ देर के बाद मेजर साहब एवं जवान गणेश यादव शहीद हो गए. इसके बावजूद भी हम लोग चोटी पर घात लगाए दुश्मनों से लोहा लेते रहे.मेरे दाहिने हाथ मे गोली लग गई थी. चार दिनों तक भूखे प्यासे रहकर कैम्प पहुंचने पर इलाज शुरू हुआ. उन्होंने बताया कि जख्मी हाथ से ही मैं और शहीद गणेश यादव मोर्चा संभालते हुए दुश्मनों के मंसूबे पर पानी फेर दिया.

हाथ में लगी थी गोली

Latest and Breaking News on NDTV

सेवानिवृत नायक सुरेन्द सिंह आज भी अपने दाहिने हाथ मे फंसी गोली को महसूस करते हैं. उन्होंने युद्ध में पहनीं वर्दी और घायल होने के बाद हाथ से निकल रहे खून को रोकने के लिए इस्तेमाल किए गए पाग (काला कपड़ा) को संभाल कर रखा है. उन्होंने बताया कि 1982 में फ़ौज में भर्ती हुई.

Latest and Breaking News on NDTV

देश की सेवा करते हुए लगभग 17 वर्ष बाद अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाने का मौका 1999 में हुए करगिल युद्ध में मिला. कई पाक सैनिकों को मार गिराने के दौरान दो अधिकारी भी शहीद हो गए. बावजूद सुरेन्द्र सिंह समेत अन्य जवान जान हथेली पर लिए जुझते हुए बुरी तरह घायल हो गए.

गोली लगने से दाहिना हाथ सुचारू रूप से काम नहीं कर पा रहा है. ये भूमिहीन है. पांच बच्चों की शिक्षा और शादी विवाह के साथ परिवार के भरण-पोषण का भार पूरी तरह इनके कंधों पर है.

दुर्गम चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टा करने वाले बिहार रेजिमेंट के सेवानिवृत्त नायक सुरेन्द्र सिंह अपने घोर आर्थिक युग में जद्दोजहद की जिन्दगी जीने को विवश है. सरकार और जिला प्रशासन से मिले आश्वासन भी झूठ साबित हो रहे है. उन्होंने बताया कि तत्कालीन जिलाधिकारी के आश्वासन पर, गांव के एक एकड़ जमीन के आवंटन के लिए आवेदन दिया था. उस वक्त इनके फरियाद पर त्वरित कारवाई भी प्रारंभ हुई थी. जिलाधिकारी के माध्यम से प्राप्त आवेदन पर, अंचलाधिकारी ने उक्त गैर मजरूआ जमीन इनके नाम से आवंटित करने की अनुशंसा करते हुए भूमि विभाग को भेजा.

Latest and Breaking News on NDTV

भूमि सुधार उप समाहर्ता ने अपनी अनुशंसा के साथ अनुमंडल पदाधिकारी को प्रषित किया. तदुपरांत अपर समाहर्त्ता ने उक्त भूमि की बंदोबस्ती उनके नाम से करते हुए, भूमि सुधार उप समाहर्त्ता के पास संचिका भेज दी. कुछ माह वहां लंबित रखने के बाद इसे पुनः अंचलाधिकारी के पास उन्होंने भेज दिया. लेकिन, आज तक इस फाइल रेस का सुखद परिणाम उन्हें नसीब नहीं हो पाया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
देश के इन राज्‍यों के लिए IMD का भारी बारिश का अनुमान, जानें आपके यहां का मौसम का हाल
युद्ध के दौरान हाथ में खाई थी गोली... लेकिन आज भी क्यों उदास है करगिल का ये शूरवीर
सुनीता केजरीवाल ने विभव की फोटो शेयर कर लिखा 'सुकून भरा दिन', स्वाति मालीवाल ने किया रिएक्ट
Next Article
सुनीता केजरीवाल ने विभव की फोटो शेयर कर लिखा 'सुकून भरा दिन', स्वाति मालीवाल ने किया रिएक्ट
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com