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अद्भुत...कांवड यात्रा में पहुंची केदारनाथ धाम की विशाल प्रतिरूप, देख भक्तों ने लगाए हर हर महादेव के जयकारे

इस केदारनाथ धाम प्रतिरूप को एक ट्रॉली पर सेट किया गया है, जिसके नीचे चक्के लगे हुए हैं. इसे 17 कांवड़ियों की टोली के द्वारा बदल-बदल का खींच कर ले जाया जाता है.

अद्भुत...कांवड यात्रा में पहुंची केदारनाथ धाम की विशाल प्रतिरूप, देख भक्तों ने लगाए हर हर महादेव के जयकारे
  • मुंगेर कच्ची कांवड़ पथ पर कांवड़ियों की टोली केदारनाथ धाम का विशाल प्रतिरूप लेकर बाबाधाम जा रही है.
  • झारखंड के चायवासा से आए नीलकंठ समिति के 17 कांवड़ियों ने 40 से 45 दिन में केदारनाथ धाम का यह भारी प्रतिरूप बनाया है.
  • प्रतिरूप को एक ट्रॉली पर सेट किया गया है, जिसे 17 कांवड़ियों की टोली बदल-बदल कर खींचती हुई लगभग पांच दिनों में बाबाधाम देवघर पहुंचाएगी.
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कांवरियों की भक्ति बाबा के लिए अनमोल है. कांवड़ यात्रा में अपनी श्रद्धा भक्त अलग-अलग तरीके से दिखा रहे हैं. मुंगेर कच्ची कांवड़ पथ पर बाबाधाम जा रहे कांवड़िये उस समय हैरान रह गए, जब उन्होंने देखा कि देश का प्रसिद्ध उत्तराखण्ड का केदारनाथ धाम के विशाल प्रतिरूप को कांवड़ियों की टोली खींच रही है. वे सभी बाबा का जयकारा लगाते हुए बाबाधाम की ओर जा रहे हैं. केदारनाथ धाम की प्रतिरूप को देखने के बाद सभी कांवड़ भक्त हर हर महादेव के जयकारे लगाने लगे. दरअसल मुंगेर कच्ची कांवड़िया पथ पर तो महादेव के भक्तों के अब तक कई रूप देखने को मिले हैं पर उसमें से अब तक का सबसे अलग दृश्य इस केदारनाथ धाम प्रतिरूप के बाद मिला है. 

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प्रतिरूप का वजन है 200 किलो

कांवड़ियों की टोली इस उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम के विशाल प्रतिरूप को लेकर जा रहे हैं, इसका वजन लगभग 200 किलो बताया जा रहा है. वहीं, इसे देखकर अन्य कांवड़ियों ने कहा कि, हम बाबाधाम के दर्शन करेंगे ही और अब पथ पर भी केदारनाथ धाम के दर्शन हो गए. प्रतिरूप को देखकर सभी भक्त बाबा की भक्ति में और डूबे नजर आए.  

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प्रतिरूप को बनाने में लगा 40 से 45 दिन का समय

जानकारी के अनुसार झारखंड के चायवासा से आए नीलकंठ समिति के 17 कांवड़ियों की मंडली इतना विशाल और भारी भरकम केदारनाथ धाम का प्रतिरूप लेकर जा रहा है. टोली के कांवड़ियों ने बताया कि पिछले 6 सालों से वे लोग हर बार विभिन्न धामों के प्रतिरूप को लेकर बाबाधाम जाते हैं. इस बार वे केदारनाथ धाम के प्रतिरूप को लेकर बाबाधाम जा रहे हैं, जिसे बनाने में 40 से 45 दिन का समय लगा है. साथ ही ये करीब 200 किलो वजनी है.

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ट्रॉली पर सेट है पूरा प्रतिरूप 

इस केदारनाथ धाम प्रतिरूप को एक ट्रॉली पर सेट किया गया है, जिसके नीचे चक्के लगे हुए हैं. इसे 17 कांवड़ियों की टोली के द्वारा बदल-बदल का खींच कर ले जाया जाता है. उनका कहना है कि ये सब करने का एक ही मकसद है कि लोग हमारे धामों के विषय में जानें और सनातन की शक्ति को पहचानें. कांवरियों की टोली ने बताया कि वे लगभग 5 दिनों की यात्रा करने के बाद बाबा धाम देवघर पहुंचेंगे. 

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