ओडिशा के कंधमाल जिले में वर्ष 2008 के सांप्रदायिक दंगे के दौरान नन से बलात्कार मामले में एक अदालत ने तीन लोगों को दोषी ठहराते हुए छह अन्य को बरी कर दिया।
जिला सत्र अदालत न्यायाधीश ज्ञान रंजन पुरोहित ने मितुआ उर्फ संतोष पटनायक को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), दो अन्य - गजेंद्र डिगल और सरोज बाहडेई को आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी माना। अदालत जल्द ही तीनों कसूरवारों को सजा की घोषणा करेगी। सबूत के अभाव में छह लोगों को बरी कर दिया गया।
कंधमाल जिले के बालीगुड़ा में 25 अगस्त, 2008 को नन के साथ बलात्कार हुआ था। 23 अगस्त को जलेसपाटा आश्रम में विहिप नेता लक्ष्मनानंद सरस्वती की हत्या के बाद आदिवासी बहुल जिले में दंगा हुआ, जिसमें 38 लोग मारे गए थे।
नन ने आरोप लगाया था कि उस पर हमला हुआ और उसके साथ सामूहिक बलात्कार कर अर्धनग्न अवस्था में सड़क पर परेड करवाई गई। मामले की सुनवाई अगस्त, 2010 में शुरू हुई थी। ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा ने घटना की जांच की और पहले चरण में नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
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