वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के राजस्थान संकट में मध्यस्थता करने की संभावना है. सोमवार को कमलनाथ ने दिल्ली में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें नवरात्रि की शुभकामनाएं दी. साथ ही पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ से उन्होंने अपने आप को अलग बताया और कहा कि उनकी इच्छा अभी मध्यप्रदेश में रहकर ही पार्टी के लिए काम करने का है.
गौरतलब है कि राजस्थान में 92 विधायकों ने रविवार को इस्तीफा देने की धमकी देते हुए कहा था कि वे चाहते हैं कि अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के साथ ही मुख्यमंत्री पद पर भी बने रहे. हालांकि इस संभावना को राहुल गांधी ने "एक आदमी एक पद" का हवाला देते हुए खत्म कर दिया.
रविवार को विधायक दल की बैठक से पहले, टीम गहलोत के विधायक शांति धारीवाल के घर पर विधायकों की मुलाकात हुई और एक प्रस्ताव पारित किया कि एक मुख्यमंत्री को केवल 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिए. जो 2020 में विद्रोह के समय सरकार के साथ खड़े थे.
केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को जयपुर भेजा गया, जिन्हें विधायकों के साथ आमने-सामने बातचीत कर संकट का हल निकालने का काम सौंपा गया. विधायकों से बात कर दोनों आज दिल्ली लौट आए. असंतुष्टों ने केंद्रीय नेताओं से बात करने से इनकार कर दिया, वहीं अधिकांश विधायक नवरात्रा के लिए अपने जिलों में चले गए हैं.
विधायकों का कहना है कि वे समूह में केंद्रीय नेताओं से मिलेंगे और पार्टी के आंतरिक चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद का सवाल सुलझाया जाना चाहिए.
सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार अशोक गहलोत से बेहद नाराज है. पार्टी में कई लोगों का तर्क है कि उन्होंने कांग्रेस को अपमानित किया है और उन्हें पार्टी प्रमुख पद की दौड़ से बाहर कर दिया जाना चाहिए.
कमलनाथ को दो साल पहले इसी तरह के संकट का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद मध्य प्रदेश में उनकी सरकार गिर गई थी. मध्य प्रदेश में पार्टी के शीर्ष नेताओं में से एक, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिसकी वजह से सरकार गिर गई.
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