शिमला:
हिमाचल प्रदेश के एक संस्थान में रैगिंग के दौरान मेडिकल के छात्र अमन काचरू की मौत के दोषी चार युवकों को चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया गया।
राज्य सरकार के एक फैसले के कारण इन दोषियों की रिहाई तय समय से तीन दिन पहले ही हो गई।
मेडिकल कालेज में अमन के वरिष्ठ साथी रहे इन दोषियों की रिहाई का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इनकी सजा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा दायर याचिका हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
ज्ञात हो कि शराब के नशे में धुत्त चार वरिष्ठ साथियों द्वारा रैगिंग के बाद अमन की मौत आठ मार्च 2009 को हो गई थी। दोषियों को सात महीने बाद ही छोड़ दिया गया था लेकिन अमन के प्रति सहानुभूति रखने वालों के लगातार प्रदर्शनों के कारण उन्हें फिर से हिरासत में लिया गया था।
अमन के पिता राजेंद्र काचरू ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा कि समय से पहले दोषियों की रिहाई से देश में रैगिंग के खिलाफ चल रही लड़ाई को गहरा धक्का लगा है।
राजेंद्र ने कहा, "रैगिंग हमारे देश में एक गंभीर मुद्दा है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसको नजरअंदाज किया, जिससे मैं दुखी हूं।"
इस मामले में कांगड़ा जिले के टांडा कस्बे स्थित राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज के छात्र अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा को 11 नवम्बर 2010 को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस महानिदेशक आईडी भंडारी ने दोषियों की रिहाई को न्यायसंगत बताते हुए कहा, "चारों दोषियों को जेल के नियम के अनुसार 15 अगस्त को रिहा किया गया।" उन्होंने कहा, "इन दोषियों को कोई विशेष छूट नहीं दी गई, जबकि उन्होंने सजा कम करने का दावा छोड़ दिया था। यह सामान्य प्रक्रिया है। इन्हें जेल में अच्छे आचरण के कारण रिहा किया गया। इन्हें किसी पैरोल का लाभ नहीं मिला है।" लेकिन, राजेंद्र काचरू ने इन दोषियों की रिहाई को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि अमन की मौत के बाद से देशभर में 35 छात्र रैगिग के कारण खुदकुशी कर चुके हैं। पिछले एक महीने के भीतर ऐसी दो घटनाएं हुई हैं।
राज्य सरकार के एक फैसले के कारण इन दोषियों की रिहाई तय समय से तीन दिन पहले ही हो गई।
मेडिकल कालेज में अमन के वरिष्ठ साथी रहे इन दोषियों की रिहाई का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इनकी सजा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा दायर याचिका हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
ज्ञात हो कि शराब के नशे में धुत्त चार वरिष्ठ साथियों द्वारा रैगिंग के बाद अमन की मौत आठ मार्च 2009 को हो गई थी। दोषियों को सात महीने बाद ही छोड़ दिया गया था लेकिन अमन के प्रति सहानुभूति रखने वालों के लगातार प्रदर्शनों के कारण उन्हें फिर से हिरासत में लिया गया था।
अमन के पिता राजेंद्र काचरू ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा कि समय से पहले दोषियों की रिहाई से देश में रैगिंग के खिलाफ चल रही लड़ाई को गहरा धक्का लगा है।
राजेंद्र ने कहा, "रैगिंग हमारे देश में एक गंभीर मुद्दा है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसको नजरअंदाज किया, जिससे मैं दुखी हूं।"
इस मामले में कांगड़ा जिले के टांडा कस्बे स्थित राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज के छात्र अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा को 11 नवम्बर 2010 को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस महानिदेशक आईडी भंडारी ने दोषियों की रिहाई को न्यायसंगत बताते हुए कहा, "चारों दोषियों को जेल के नियम के अनुसार 15 अगस्त को रिहा किया गया।" उन्होंने कहा, "इन दोषियों को कोई विशेष छूट नहीं दी गई, जबकि उन्होंने सजा कम करने का दावा छोड़ दिया था। यह सामान्य प्रक्रिया है। इन्हें जेल में अच्छे आचरण के कारण रिहा किया गया। इन्हें किसी पैरोल का लाभ नहीं मिला है।" लेकिन, राजेंद्र काचरू ने इन दोषियों की रिहाई को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि अमन की मौत के बाद से देशभर में 35 छात्र रैगिग के कारण खुदकुशी कर चुके हैं। पिछले एक महीने के भीतर ऐसी दो घटनाएं हुई हैं।
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