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This Article is From Mar 21, 2024

न्यायपालिका, इंसाफ और भरोसा... CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने शेयर किए अपनी जिंदगी के 3 मिशन

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आम लोगों तक न्‍याय लयों को पहुंचाने के लिए हम कई तरीके अपना रहे हैं. 29 फरवरी 2024 तक 25 करोड़ फाइनल जजमेंट और ऑर्डर ऑनलाइन उपलब्‍ध कराए जा चुके हैं.

न्यायपालिका, इंसाफ और भरोसा...  CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने शेयर किए अपनी जिंदगी के 3 मिशन
नई दिल्‍ली:

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने एनडीटीवी से हुई खास बातचीत में कहा कि न्‍यायपालिका को मजबूत करना, सभी तक न्‍याय की पहुंच सुनिश्चित करना और लोगों का भरोसा अदालतों पर बना रहे, इसके लिए प्रयास करते रहना उनका मिशन है. इस मिशन पर वह 24 घंटे रहते हैं. फिर चाहे आधी रात को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से कोई न्‍याय की गुहार लगाए... वह तुरंत उसका जवाब देते हैं. वहीं, न्‍यायपालिका को मजबूत बनाने की दिशा में भी वह कई कदम उठा रहे हैं. 

...ताकि 'न्‍यायपालिका' हो मजबूत

न्‍यायपालिका को मजबूत करने की दिशा में पिछले कुछ समय से कई कदम उठाए गए हैं. सीजेआई ने कहा, "मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जिला अदालतों के बीच संवाद बनाए रखने की जरूरत है. हमें सबसे पहले जिला स्‍तर से अदालतों को मजबूत करने की आवश्‍यकता है, जिसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं. दरअसल, आम लोग न्‍याय के लिए सबसे पहले जिला अदालतों का रुख करते हैं. आम नागरिकों अगर को कोई भी समस्या होती है, तो उनका सीधे सुप्रीम कोर्ट में आना मुश्किल होता है, इसीलिए वह पहले जिला न्यायलय में जाते हैं. ऐसे में जब हम जिला न्यायपालिका को मजबूत करेंगे, तब हम वास्तव में न्‍यायपालिका को मजबूत करेंगे." 

समय से मिले 'इंसाफ'

आमतौर पर कहा जाता है कि अदालतों में सिर्फ तारीख मिलती है, न्‍याय नहीं...! कई मामलों में देखा भी गया है कि वे सालों-साल चलते रहते हैं. लेकिन अब समय बदल रहा है. फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में अब मामले तेजी से निपटाए जाते हैं. अब अगर कोई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को आधी रात को भी मैसेज करता है, तो वह उसे गंभीरता से लेते हैं. कई बार अगले ही दिन मामले की सुनवाई के लिए भी तैयार हो जाते हैं. सीजेआई डीवाई ने बताया, "मुझे आधी रात को पता चला कि एक लड़की मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्‍नेंसी की इजाजत चाहती है. मामले की गंभीरता को देखते हुए मैंने तुरंत अपने स्‍टाफ को सूचित किया. अगले ही दिन इस मामले पर सुनवाई की गई. इस तरह लड़की को तुरंत न्‍याय मिला. हम मामले की गंभीरता को देखते हुए, उस पर त्‍वरित कार्रवाई करते हैं. पेंशन का मामला हो, किसी का घर गिराया जा रहा हो, किसी को घर से निकाल दिया गया हो... ऐसे कई मामले कोर्ट में आते हैं, जिन्‍हें हम गंभीरता से लेते हैं."

अदालतों पर कायम रहे आम लोगों का 'भरोसा'

किसी पर भरोसा कायम रहे, इसके लिए पारदर्शिता बेहद जरूरी है. भारत की न्‍यायपालिका पर लोगों का भरोसा कायम रहे, इस‍के लिए अदालतों की कार्यशैली में लगातार बदलाव किया जा रहा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया, "मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि हम अपनी वर्किंग लाइफ के हर पल में आम लोगों के लिए मौजूद हैं. इसके अलावा अदालतों के कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. अदालतों का डिजिटलाइजेशन इसी दिशा में उठाया जा रहा कदम है. देशभर में 29 फरवरी 2024 तक 3.09 करोड़ केस वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग मोड में हाईकोर्ट और जिला कोर्ट सुने जा चुके हैं. वहीं, 21.6 करोड़ केसों का डेटा, इसमें  4.40 करोड़ पेंडिंग केस भी शामिल हैं और 25 करोड़ फाइनल जजमेंट और ऑर्डर... ये सभी डेटा ऑनलाइन उपलब्‍ध है. 1 जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक कोर्ट सिस्‍टम की ई-ताल वेबसाइट से 46 करोड़ ई-ट्रांजेक्‍शन हो चुके हैं. इससे लोगों का भरोसा अदालतों पर बढ़ता है." 
   
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