केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को दावा किया कि ‘‘भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा'' बन चुके कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कुछ कार्यकर्ता कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए. रीजीजू ने न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित कॉलेजियम प्रणाली की एक बार फिर आलोचना करते हुए कहा कि यह कांग्रेस पार्टी के ‘दुस्साहस' का परिणाम है.
केंद्रीय मंत्री ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' में बोल रहे थे. हालांकि, भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने बाद में उसी कार्यक्रम में कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा,‘‘हर प्रणाली दोष से मुक्त नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रणाली का ‘‘उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करना है, जो एक बुनियादी मूल्य है''.
रीजीजू ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर लंदन में की गई हालिया टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोलता है, वही कहता है कि उसे बोलने की अनुमति नहीं है.
रीजीजू ने आरोप लगाया, ‘‘भारत के भीतर और बाहर भारत-विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, भारत में मानवाधिकारों का अस्तित्व नहीं है. यह भारत-विरोधी गिरोह जो कहता है, वही भाषा राहुल गांधी भी इस्तेमाल करते हैं.''
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो कुछ भी कहते हैं, वह ‘एक ही पारिस्थितिकी तंत्र' द्वारा ‘जोरदार आवाज' के साथ प्रचारित-प्रसारित किया जाता है. रीजीजू ने कहा, ‘‘एक ही पारिस्थितिकी तंत्र भारत के भीतर और बाहर काम कर रहा है. हम इस 'टुकड़े-टुकड़े गिरोह' को हमारी अखंडता एवं हमारी संप्रभुता नष्ट करने की अनुमति नहीं देंगे.''
उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में एक संगोष्ठी आयोजित की गयी थी, जिसमें उच्चतम न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद थे और संगोष्ठ का विषय था- ‘न्यायाधीशों की नियुक्ति में जवाबदेही'. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पूरे दिन यही चर्चा होती रही कि सरकार किस तरह से न्यायपालिका को अपने नियंत्रण में ले रही है.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह भारत के मौजूदा प्रधान न्यायाधीश, पूर्व प्रधान न्यायाधीश तथा उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों के साथ एक उत्कृष्ट संबंध साझा करते हैं. रीजीजू ने कहा, ‘‘सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में- शायद तीन या चार न्यायाधीश और कुछ कार्यकर्ता ऐसे हैं, जो भारत-विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं- ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए.''
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग अदालत भी जाते हैं और कहते हैं कि कृपया सरकार पर लगाम लगाएं, कृपया सरकार की नीति बदलें. ये लोग चाहते हैं कि न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए, जो संभव नहीं हो सकता.'' उन्होंने कहा कि न्यायपालिका तटस्थ है.
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीश न तो किसी समूह का हिस्सा हैं, न उनकी किसी समूह से राजनीतिक संबद्धता है. ये लोग खुले तौर पर कैसे कह सकते हैं कि भारतीय न्यायपालिका को सरकार के आमने-सामने होना चाहिए. यह किस तरह का प्रचार है.''
यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसे तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है, उन्होंने कहा, ‘‘कार्रवाई की जाएगी, कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है. कोई भी बच नहीं पाएगा.'' न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे पर, रीजीजू ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति को आरंभ करने और अंतिम रूप देने में न्यायपालिका की कोई भूमिका नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल कांग्रेस पार्टी की गलतियों के कारण हुआ और बाद में उच्चतम न्यायालय ने इस तरह कार्य करना शुरू किया, जिसे कुछ लोग न्यायिक अतिक्रमण की संज्ञा देते हैं. उसके बाद कॉलेजियम प्रणाली अस्तित्व में आई.'' उन्होंने कहा कि लेकिन अभी, सरकार की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि कॉलेजियम प्रणाली लागू है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब तक कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की जाती है, हम कॉलेजियम प्रणाली का पालन करेंगे, लेकिन न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायिक आदेश से नहीं की जा सकती है. यह पूरी तरह से प्रशासनिक (निर्णय) है.''
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