
दिल्ली पुलिस की एक टीम ने कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के घर का दौरा किया और आग लगने की जगह को सील कर दिया. यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक कमेटी के निर्देश पर की गई है, जिसका उद्देश्य सबूतों को नष्ट होने से बचाना है. हालांकि, यह घटना 12 दिन पुरानी है, लेकिन जांच अभी भी जारी है.
बुधवार दोपहर को नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला अपनी टीम के साथ तुगलक क्रिसेंट लेन में जस्टिस यशवंत के घर पहुंचे. वहां करीब 2 घंटे बाद वहां से निकल गए. सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने उस स्टोर रूम और उसके आसपास की जगह को सील कर दिया, जहां 14 मार्च की रात आग लगी थी और बड़ी मात्रा में 500-500 के नोट जलते हुए दिखाई दिए थे.
सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन जजों की कमेटी ने घटनास्थल का दौरा किया. कमेटी के तीनों जज जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले पर पहुंचे और करीब 45 मिनट तक वहां रहे. सूत्रों के अनुसार, कमेटी ने आग लगने वाले कमरे का निरीक्षण किया और पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो के साथ उसका मिलान किया.
इनमें दिल्ली फायर सर्विस के चीफ भी शामिल हैं, जिन्होंने पहले कैश ना मिलने की बात कही और फिर कहा कि उन्होंने ऐसा बयान नहीं दिया. सूत्रों के मुताबिक वर्मा से पूछताछ के अलावा, कमेटी उन लोगों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है, जो 14 मार्च को जज के आवास के आउटहाउस स्टोररूम में आग लगने की सूचना पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले लोग हैं. इनमें सफदरजंग फायर स्टेशन के दमकलकर्मी और तुगलक रोड पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मी शामिल होंगे.
21 मार्च की फायर रिपोर्ट के विवरण के अनुसार सफदरजंग फायर स्टेशन को 14 मार्च की रात 11.35 बजे जज के आवास पर आग लगने की सूचना मिली थी और दमकल कर्मी 11.43 बजे घटनास्थल पर पहुंचे. वे दो घंटे बाद 15 मार्च की तड़के 1.56 बजे घटनास्थल से चले गए. वहीं, दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने लखनऊ में मौजूद दिल्ली हाईकोर्ट के CJ डी के उपाध्याय को 15 मार्च को शाम करीब 4.50 बजे जस्टिस वर्मा के आवास पर नकदी जलाए जाने की घटना की जानकारी दी.
जस्टिस वर्मा के आवास से जुड़े निजी सहायकों सहित हाईकोर्ट के कर्मचारियों और जज से भी पूछताछ की जाएगी ताकि आग की प्रकृति और नकदी की मौजूदगी को समझा जा सके. जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा जस्टिस वर्मा के पिछले छह महीने के कॉल डेटा रिकॉर्ड की जांच करना होगा. जस्टिस वर्मा को अपने फोन से कोई भी जानकारी डिलीट न करने के लिए कहा गया है. कमेटी में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं.
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