वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति का गठन हो गया है. 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्य अगले सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. पैनल के 12 सदस्य सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से हैं, जिनमें भाजपा के आठ और विपक्ष के नौ शामिल हैं. उच्च सदन में भाजपा के चार, विपक्ष के चार और एक मनोनीत सदस्य है.
पैनल में लोकसभा सदस्य- जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जयसवाल, दिलीप सैकिया, अभिहित गंगोपाध्याय, डीके अरुणा (सभी भाजपा); गौरव गोगोई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद (सभी कांग्रेस); मोहिबुल्लाह (समाजवादी पार्टी); कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस); ए राजा (डीएमके); लावु श्री कृष्ण देवरायलु (तेलुगु देशम पार्टी); दिलेश्वर कामैत (जेडीयू); अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी); सुरेश म्हात्रे (एनसीपी-शरद पवार); नरेश म्हस्के (शिवसेना); अरुण भारती (लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास); और असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम).
राज्यसभा से शामिल लोगों में बृज लाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधा मोहन दास अग्रवाल (सभी भाजपा) शामिल हैं; सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस); मोहम्मद नदीमुल हक (तृणमूल कांग्रेस); वी विजयसाई रेड्डी (वाईएसआरसीपी); एम मोहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके); संजय सिंह (आप); और नामांकित सदस्य धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े.
उम्मीद है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जल्द ही समिति के अध्यक्ष का नाम घोषित करेंगे. ऐसा विचार है कि भाजपा के पाल पैनल का नेतृत्व कर सकते हैं, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अंतिम फैसला बिड़ला द्वारा लिया जाएगा.
विधेयक को गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया और तीखी बहस के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया, सरकार ने कहा कि प्रस्तावित कानून का इरादा मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का नहीं है. रिजिजू ने कहा कि समिति अगले सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन तक अपनी रिपोर्ट लोकसभा को सौंपेगी.
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