झारखंड के लिए हवाई सेवा को मजबूत करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, राज्य सरकार ने बुधवार को घोषणा की, कि उसने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर वैट (Value Added Tax) को 20 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है. राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि प्रदेश में हवाई संपर्क बढ़ाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हवाई किराए को कम करने के लिए टैक्स कम करने का निर्णय लिया गया है.
बयान में कहा गया है, "राज्य सरकार प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी में सुधार के लिए झारखंड मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2005 की अनुसूची- II भाग-ई के क्रम संख्या एक में संशोधन करेगी. इसके तहत, विमानन टर्बाइन ईंधन (एटीएफ) पर टैक्स की दर 20 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया जाएगा." अधिसूचना आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होगी.
इस फैसले से हवाई किराए में कमी आने की उम्मीद है, बयान में कहा गया है, "राज्य में हवाई संपर्क बढ़ाने के अलावा, यह पर्यटन क्षेत्र को भी एक बड़ा बढ़ावा देगा." 23 राज्यों ने जेट ईंधन पर वैट को पहले ही 20-30 प्रतिशत के उच्च स्तर से कम कर दिया है.
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एटीएफ एक एयरलाइन की परिचालन लागत का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा बनाता है. ऊर्जा की कीमतों में वैश्विक उछाल की वजह से जेट ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर हैं और चूंकि भारत अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है, इसलिए जेट ईंधन की कीमतों में कटौती का एकमात्र तरीका टैक्स को कम करना है.
एटीएफ वर्तमान में उत्पाद शुल्क का 11 प्रतिशत है. वहीं रीजनल कनेक्टिविटी योजना के तहत बेचे जाने वाले एटीएफ पर 2 प्रतिशत की रियायती दर लागू है. एड वैल्वोरेम दर का मतलब है कि जब भी बेस प्राइस में वृद्धि होती है तो टैक्स बढ़ जाती है. एटीएफ केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क और राज्यों के बिक्री कर या वैट दोनों पर प्रभाव डालता है.
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