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45 करोड़ लोग हर साल गंवा रहे 20 हजार करोड़... ऑनलाइन गेमिंग बिल लोकसभा में पास, जानें इसमें क्या खास?

सरकारी अनुमानों के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स के जाल में फंसकर नुकसान उठाते हैं. इन गेम्स की वजह से लोग हर साल अनुमानित करीब 20,000 करोड़ रुपये गंवा रहे हैं.

45 करोड़ लोग हर साल गंवा रहे 20 हजार करोड़... ऑनलाइन गेमिंग बिल लोकसभा में पास, जानें इसमें क्या खास?
  • ऑनलाइन मनी गेमिंग को बैन करने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में अहम विधेयक पेश किया है.
  • हर साल अनुमानित 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स की लत में फंसकर आर्थिक नुकसान करते हैं.
  • इन गेम्स की वजह से भारत में लोगों को हर साल 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होता है.
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नई दिल्ली:

सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को रेग्युलेट करने वाला महत्वपूर्ण बिल लोकसभा से पास हो गया है. इसका मकसद ऑनलाइन मनी गेम्स और सट्टेबाजी पर पूरी तरह से बैन लगाना और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है. एक अनुमान के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग इन ऑनलाइन मनी गेम्स के चक्कर में फंसकर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक गंवा देते हैं.  

सरकार क्यों लाई ये विधेयक?

केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग से लोगों को हो रहे वित्तीय और सामाजिक नुकसान को रोकने के लिए यह बिल लाई है. इसका नाम प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 है. सरकारी अनुमानों के मुताबिक, हर साल करीब 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स के जाल में फंसकर नुकसान उठाते हैं. इन गेम्स की लत सिर्फ पैसों का नुकसान ही नहीं बल्कि एक सामाजिक संकट बन चुकी है. 

सरकारी सूत्रों ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार, इन गेम्स की वजह से आम लोगों को हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसकी लत की वजह से सैकड़ों परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं. कई तो आत्महत्या और हिंसा जैसा गंभीर कदम भी उठा लेते हैं. 

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3 तरह के ऑनलाइन गेम्स

ई-स्पोर्ट्स

  • इस बिल के जरिए ई-स्पोर्ट्स को पहली बार कानूनी मान्यता दी जा रही है. 
  • अब तक देश में ऑनलाइन स्पोर्ट्स गेम्स का कोई कानूनी आधार नहीं है. 
  • खेल मंत्रालय ई-स्पोर्ट्स की गाइडलाइंस तय करेगी. 
  • इनके ट्रेनिंग-रिसर्च सेंटर और टेक्नोलोजी प्लेटफॉर्म भी विकसित होंगे. 

ऑनलाइन सोशल गेम्स

  • सरकार ने ऑनलाइन सोशल गेम्स को कानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव रखा है. 
  • ये गेम्स आम लोगों के एजुकेशन के काम आते हैं. 
  • ऐसे प्लेटफॉर्म बनेंगे, जहां उम्र के हिसाब से उचित-सुरक्षित सामाजिक एवं शैक्षिक गेम्स की व्यवस्था होगी. 
  • ये मनोरंजन के साथ-साथ स्किल्स बढ़ाने का भी काम करेंगे.

ऑनलाइन मनी गेम्स

  • ऐसे ऑनलाइन गेम, जिनमें पैसों का लेन-देन होता है, उन्हें प्रतिबंधित किया जाएगा. 
  • ऐसे मनी गेम्स भले ही स्किल या चांस आधारित क्यों न हों, उन पर रोक लगेगी. 
  • इन गेम्स का विज्ञापन और प्रमोशन करने वाली कंपनियों पर भी सख्त कार्रवाई होगी. 
  • इन गेम्स से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों, बैंकिंग लेन-देन पर भी पूरी तरह रोक लगेगी.
  • ऑनलाइन जुआ-सट्टा, ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर-रमी जैसे ऑनलाइन कार्ड गैम्बलिंग गेम्स, ऑनलाइन लॉटरी पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा.

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा

पैसे कमाने का सपना दिखाकर लोगों को लूटने वाले ऐसे सभी गेम्स पर सरकार पाबंदियां लगाना चाहती है. ये गेम्स लोगों को पैसों का लालच दिखाकर खर्च करने के लिए उकसाते हैं. इससे न सिर्फ आर्थिक नुकसान  हो रहा है, परिवार बर्बाद हो रहे हैं बल्कि कई मामलों में पीड़ित लोग अपनी जान देने जैसा कदम भी उठा लेते हैं.

इनमें से कई गेम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं. इनके आड़ में वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग जैसी गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा रहा है. सरकार इन पर नकेल कसना चाहती है. जुए-सट्टे जैसी गतिविधियां भारतीय न्याय संहिता 2023 और राज्यों के कानूनों में प्रतिबंधित हैं. अब सरकार इनके ऑनलाइन रूप को भी बैन करने जा रही है. 

नियम तोड़ने पर कितनी होगी सजा?

  • ऑनलाइन मनी गेमिंग सर्विस देने या उसे बढ़ावा देने वालों को तीन साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
  • ऑनलाइन मनी गेम्स का विज्ञापन करने वालों को दो साल तक की जेल या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकेगा.
  • मनी गेम्स से जुड़े वित्तीय लेन-देन करने वालों को 3 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये जुर्माना हो सकेगा.
  • अगर कोई बार-बार नियम तोड़ेगा तो उसकी सजा बढ़कर पांच साल तक हो सकेगी, जुर्माना भी 2 करोड़ तक लगेगा. 
  • ये अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे. इनमें आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिल सकेगी.

ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी बनेगी

केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर की एक ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी बनाने जा रही है. किसी मौजूदा अथॉरिटी या एजेंसी को भी यह भूमिका दी जा सकती है. इसका काम ऑनलाइन गेम्स को कैटिगरी में बांटना और रजिस्ट्रेशन करना होगा. यही अथॉरिटी तय करेगी कि कोई गेम मनी गेम की श्रेणी में आएगा या नहीं. ऑनलाइन गेम्स से जुड़ी शिकायतों को भी यही निकाय देखेगा. नियमों का सही से पालन हो, इसके लिए गाइडलाइंस, आदेश, प्रैक्टिस कोड जारी करने का जिम्मा भी इसी अथॉरिटी का होगा.

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बिल के सकारात्मक प्रभाव

  • क्रिएटिव इकोनमी को बढ़ावा: यह बिल भारत के ग्लोबल गेमिंग निर्यात, रोज़गार और इनोवेशन में भूमिका को बढ़ाएगा.
  • युवाओं को सशक्त बनाना: यह बिल ई-स्पोर्ट्स और कौशल आधारित डिजिटल गेम्स के जरिए युवाओं की रचनात्मक भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा.
  • सुरक्षित डिजिटल माहौल : यह परिवारों को पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स की धोखाधड़ी भरी दुनिया से बचाएगा.
  • वैश्विक नेतृत्व : यह बिल भारत को जिम्मेदार गेमिंग इनोवेशन और डिजिटल नीति निर्माण के अगुआ के रूप में स्थापित करेगा.

2 खरब रुपये की गेमिंग इंडस्ट्री

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) के चीफ एग्जिक्यूटिव रोलैंड लैंडर्स के मुताबिक, यह सेक्टर अब 2 खरब रुपये तक बढ़ चुका है. वित्त वर्ष 2025 में इस सेक्टर को 31 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हुआ था और 20 हजार करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का भुगतान किया गया था. 

लैंडर्स के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष तक भारत में 50 करोड़ से अधिक लोगों ने ऑनलाइन गेमिंग सर्विस का इस्तेमाल किया था. उनका कहना है कि इस बिल के कानून बनने से 400 से ज्यादा कंपनियां बंद हो सकती हैं और दो लाख से ज्यादा नौकरियां खत्म हो जाएंगी. 

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