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This Article is From Jan 17, 2017

जयललिता की हमशक्ल, उनकी भतीजी दीपा जयकुमार ने किया राजनीति में आगाज़

जयललिता की हमशक्ल, उनकी भतीजी दीपा जयकुमार ने किया राजनीति में आगाज़
चेन्नई में लगे एक पोस्टर में दीपा को ठीक अपनी बुआ के अंदाज़ में देखा जा सकता है
चेन्नई: जे जयललिता के निधन के चालीस दिन बाद, उनकी भतीजी दीपा जयकुमार ने मंगलवार को अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को सामने रखा. उन्होंने कहा कि वह अपनी बुआ की पद चिह्नों पर चलना चाहेंगी और राजनीति में उतरेंगी. उनकी रणनीति क्या होगी यह बताने के लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री की जयंती का दिन यानि 24 फरवरी को चुना है. अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा 'मैंने तय किया है कि अपना राजनीतिक सफर सही वक्त पर शुरू करूंगी.' उन्होंने यह  भी कहा कि 'आज से मैं अपनी जिंदगी का नया सफर शुरू कर रही हूं.'

दरअसल AIADMK के एक खेमे में माना जाता है कि हाल ही में पार्टी प्रमुख बनीं जयललिता की करीबी दोस्त शशिकला नटराजन के सामने दीपा एक कड़ी चुनौती बनकर आ सकती हैं. दिलचस्प बात यह है कि दीपा में जयललिता की झलक साफ तौर पर नज़र आती है. और तो और पिछले दिनों एक पोस्टर जारी हुआ है जिसमें 42 साल की दीपा जयकुमार की तस्वीर को हुबहू उनकी बुआ के अंदाज़ में ही दिखाया गया है. उनकी साड़ी पहनने के अंदाज़ से लेकर हाथ हिलाने के तरीके तक इस पोस्टर में दीपा अपनी बुआ से काफी मिलती जुलती दिख रही हैं.

गौरतलब है कि लंदन से पढ़ाई लिखाई पूरी करने वाली जयललिता के भाई की बेटी दीपा पिछले साल तब सुर्खियों में आई जब चेन्नई में उन्हें उनकी बुआ से अस्पताल में मिलने नहीं दिया गया. बाद में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें जयललिता के अंतिम संस्कार में आने से भी रोका गया. NDTV पर लिखे एक ब्लॉग में दीपा ने कहा था - खून का रिश्ता होने की वजह से मैं उनके मुश्किल वक्त में उनके साथ रहना चाहती थी. क्योंकि मैं उनसे सबसे ज्यादा प्यार करती थी. कई लोग तो मुझे ही बुआ का उत्तराधिकारी मानते थे.'

साल 2007 से वह न तो अपनी बुआ से मिली हैं और न ही वह जयललिता के पोएस गार्डन स्थित घर गई हैं. बताया जाता है कि जयललिता ने जब शशिकला के भतीजे को गोद लिया तो उसके बाद परिवार में दरार आ गई. जयललिता ने अपने भाई के बाद इन रिश्तों को पूरी तरह तोड़ दिया.
 
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दीपा जयकुमार का आरोप है कि उन्हें अपनी बुआ के अंतिम संस्कार में जाने से रोका गया

5 दिसंबर को जयललिता के निधन के हफ्तों बाद दीपा जयकुमार ने अपने समर्थकों से कहा था कि राजनीति में उनकी एंट्री को कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने जल्द ही घोषणा करने की बात कही थी. इसके लिए दीपा ने AIADMK के संस्थापक और जयललिता के गुरू एमजी रामचंद्रन की 100वीं जयंती को चुना. जानकार यह भी मानते हैं कि ऐसा करके शायद जयकुमार एमजीआर के प्रशंसक और उनके वफादारों का दिल जीतना चाहती हैं जो तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी का काफी बड़ा हिस्सा हैं.

पिछले कुछ हफ्तों से जयकुमार के लिए समर्थकों की तादाद धीरे धीरे बढ़ती दिख रही है. कई AIADMK कार्यकर्ताओं को चेन्नई में उनके घर के बाहर देखा जा रहा है. हाल ही में जयललिता के आरके नगर निर्वाचन क्षेत्र में उनकी निधन के 30वें दिन AIADMK काडर के एक गुट ने खुलेआम कहा था 'हम यहां से शशिकला को नहीं खड़ा होने देंगे. हमें दीपा चाहिए.' कार्यकर्ता एमएम कुमार ने कहा 'हमें दीपा में अपनी प्यारी अम्मा नजर आती हैं.'

हालांकि इसे पूरी तरह पार्टी का नज़रिया नहीं कहा जा सकता. जैसे कि AIADMK के प्रवक्ता सीआर सारस्वती ने कहा 'इतने सालों तक दीपा कहां थी? पार्टी ने औपचारिक रूप से शशिकला को अपना नेता चुना है और चिनम्मा (मौसी) के साथ ही पूरा काडर हैं.'

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