- जम्मू-पुलिस ने 19 साल के एक लड़के को गिरफ्तार किया है. वह ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन गैंग की अहम कड़ी हो सकता है
- पुलिस के मुताबिक, वह पाकिस्तान समेत कुछ विदेशी नंबरों से संपर्क में था और आतंकी गतिविधियों की योजना बना रहा था
- शिक्षित-संपन्न युवाओं के दिमाग में जहर घोलकर उन्हें आतंक के रास्ते पर धकेलने का ट्रेंड नई चिंता बन गया है
सरकार और सुरक्षाबलों की सख्ती के बाद अपने नापाक मंसूबों में नाकाम आतंकी अब अलग तरीके से गंदा खेल खेल रहे हैं. वह लोगों के दिमाग में जहर घोल रहे हैं. उनके निशाने पर शिक्षित और संपन्न युवा हैं. लाल किला ब्लास्ट और फरीदाबाद से व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ इसका नमूना है. अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू जिले से 19 साल के एक युवक को गिरफ्तार किया है. माना जा रहा है कि ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन से संबंधित जांच में वह एक प्रमुख प्यादा साबित हो सकता है.
जम्मू के लड़के के दिमाग में आतंकी फितूर
पुलिस का कहना है कि युवक पाकिस्तान समेत कुछ विदेशी नंबरों के जरिए संपर्क में था. ऑनलाइन तरीके से उसके दिमाग में जहर घोला जा रहा था. भ्रमित होकर वह आतंकी गतिविधियों की योजना बना रहा था. पुलिस के मुताबिक, युवक मूल रूप से रियासी जिले का रहने वाला है और फिलहाल जम्मू के भटिंडी इलाके में रह रहा था. बाहू फोर्ट थाने में दर्ज FIR संख्या 331/2025 u/s 113(3) BNS में वह एक मुख्य संदिग्ध के रूप में सामने आया है.
ऑनलाइन कट्टरपंथ की अहम कड़ी
अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की शुरुआती जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. जांच से पता चला है कि आरोपी को ऑनलाइन कट्टरपंथी बनाया जा रहा था. वह आतंकी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहा था. यह भी पता चला है कि वह मोबाइल फोन के जरिए पाकिस्तान और विदेश के कई नंबरों से संपर्क में था. पुलिस ने युवक के सभी डिजिटल डिवाइस जब्त कर लिए हैं. उससे पूछताछ और गहन जांच पड़ताल की जा रही है.
पढ़े-लिखे युवाओं को कट्टर बना रहे
शिक्षित और संपन्न युवाओं के दिमाग में जहर घोलकर उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर धकेलने का ये नया ट्रेंड सुरक्षाबलों के लिए नई चिंता बन गया है. कुछ दिन पहले ही कश्मीर घाटी और बाहर के डॉक्टरों के फरीदाबाद व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था. इसमें जिस तरह से कई डॉक्टर शामिल थे, उससे सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं, उन लोगों के परिवार भी चौंक गए थे.
धर्म के नाम पर किया जाता है गुमराह
अधिकारियों का कहना है कि अक्सर ऐसे शिक्षित युवाओं को धर्म की गलत व्याख्या करके आतंकवाद की तरफ आकर्षित किया जाता है. नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करके उनके दिमाग में जहर घोला जाता है. उन्हें इस कदर कट्टरपंथी बना दिया जाता है कि उन्हें हर दूसरा धर्म दुश्मन लगता है.
अपने खुद के बच्चों को आतंकी नहीं बनाते
पुलिस का कहना है कि ऐसे युवाओं और शिक्षित-संपन्न लोगों को आतंकियों के आकाओं के झांसे में आने के बजाय वास्तविकता को देखना चाहिए. ये एक तथ्य है कि सीमा पार या जम्मू-कश्मीर में एक्टिव कोई भी आतंकी हैंडलर अपने बच्चों को कभी भी आत्मघाती हमलावर या आतंकवादी नहीं बनने देता है. वो हैंडलर्स के जरिए युवाओं को ही अपना मोहरा बनाते हैं.
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