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This Article is From Sep 12, 2014

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के बाद बीमारी का खतरा, केंद्र ने भेजी दवाएं, डॉक्टरों की बड़ी टीम भी पहुंची

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के बाद बीमारी का खतरा, केंद्र ने भेजी दवाएं, डॉक्टरों की बड़ी टीम भी पहुंची
श्रीनगर में बाढ़ पीड़ितों तक राहत पहुंचाते सैनिक
श्रीनगर / जम्मू:

केंद्र सरकार ने माना है कि जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की ऐसी स्थिति 109 सालों में पहली बार देखने को मिली है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि एक लाख 30 हजार लोगों को अब तक राहतकर्मियों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाला गया है।

श्रीनगर में बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए सेना के जवानों ने पूरी ताकत झोंक दी है। बचाव अभियान की तस्वीरें बाढ़ की त्रासदी के असर और जमीनी हालात को बखूबी बयां कर रही हैं। पानी का स्तर भले ही कम रहा हो, लेकिन बहाव इतना तेज है कि अब भी लोगों की जान पर बनी हुई है।

बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना के जवान रस्सियों के सहारे प्राथमिकता के आधार पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को निकाल रहे हैं। पानी में डूबे घरों में रह रहे लोगों को खाने-पीने का सामान और जरूरी चीजों की सप्लाई सेना के जवान मोटरबोट के जरिये कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में अब जैसे-जैसे बाढ़ का पानी कम हो रहा है, गंदे पानी के चलते महामारी फैलने का खतरा बनता जा रहा है और इस खतरे से निपटना एक बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार ने डॉक्टरों की टीम और दवाओं की बड़ी खेप भेजी है। साथ ही यहां छोटे आईसीयू भी तैयार किए गए हैं।

करीब 30,000 जवान दिन-रात राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। इनमें से 21,000 जवान श्रीनगर में और 9,000 जवान जम्मू में लगे हुए हैं। 84 हेलीकॉप्टर और कई ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट राहत और बचाव अभियान में जुटे हैं। सेना के 224 बोट और एनडीआरएफ के 148 बोट लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

पीड़ितों तक भोजन के पैकेट, पका हुआ भोजन और पानी की बोतल पहुंचाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने राज्य में दवाओं की बड़ी खेप भेजी है। वहीं सीमा सड़क संगठन के 5700 जवान सड़कों को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं।

बाढ़ से बेहाल कश्मीर में राहत काम जोरों पर है और राजधानी श्रीनगर में सेना घर-घर घूमकर राहत सामग्री बांट रही है और जरूरतमंदों को बाहर निकाल रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने श्रीनगर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। जितेंद्र सिंह ने पहले हेलीकॉप्टर से श्रीनगर का दौरा किया, फिर जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए वह सेना के नाव में प्रभावित इलाकों में गए। उन्होंने लोगों से बात की और उनकी परेशानियां भी सुनीं।

बाढ़ के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी नजर है। बुधवार को पीएम ने बाढ़ की हालात जायजा लेने के लिए बैठक की थी, जिसके बाद गृह सचिव भी श्रीनगर पहुंचे। जितेंद्र सिंह के साथ 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा भी थे, जिन्होंने राहत और बचाव के काम के बारे में उन्हें जानकारी दी। जितेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से भी मुलाकात की।

बाढ़ की वजह से जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में पढ़ाई बंद है। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि स्कूलों का सेशन बदल दिया जाएगा, ताकि बच्चों को एक साल का नुकसान न हो।

जम्मू-कश्मीर में राहत और बचाव के दौरान कई मुश्किलें भी आ रही हैं। अलग-अलग इलाकों में सेना और मीडिया की टीम को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के इस विरोध की वजह से राहत के काम में दिक्कत आ रही है। इन स्थानीय लोगों की नाराजगी इस बात से है कि राहत का काम वे भी कर रहे हैं, लेकिन राहत का पूरा श्रेय सेना को दे दिया जा रहा है। इन लोगों ने बचाव के लिए गए लोगों पर पथराव तक किया, साथ ही कई जगहों पर धक्कामुक्की भी की गई।

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