जैन समुदाय के सदस्य झारखंड में अपने प्रमुख धार्मिक मंदिर सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में सूचीबद्ध करने का देशभर में विरोध कर रहे हैं. उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि इस कदम से इस स्थान की पवित्रता पर असर पड़ेगा. हालांकि इस बारे में घोषणा नई नहीं है लेकिन बड़े स्तर पर हो रहे विरोध के चलते केंद्र ने राज्य सरकार से पूछा है कि इसे किस तरह से संशोधित किया जा सकता है. गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी को जैनियों के दिगंबर और श्वेतांबर, दोनों संप्रदायों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है. हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस की सरकार का तर्क है कि मूल नोटिफिकेशन बीजेपी सरकार ने जारी की थी और केंद्र को इस बारे में कार्रवाई करनी चाहिए. सोरेन ने कहा है, "हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. हम इस मामले को गंभीरता से देखने के बाद निर्णय लेंगे. मैंने अभी इस मामले को विस्तार से नहीं देखा है लेकिन यह केंद्र सरकार की अधिसूचना के बारे में है."
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में पारसनाथ के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था और राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव पर इको-टूरिज्म को मंजूरी दी थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा है कि अगर कोई गलत निर्णय लिया गया है तो उसे अब सुधारा जा सकता है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हेमंत सोरेन सरकार को लिखे गए नए पत्र में जैन समुदाय के प्रतिनिधित्व का हवाला देते हुए इसे "आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने" के लिए कहा है.
इस मुद्दे पर राजस्थान के जयपुर में भूख हड़ताल पर बैठे जैन संत मुनि सुग्येय सागर के निधन के बाद विरोध तेज हो गया है. जैन समुदाय के लोगों का दावा है कि उनकी मृत्यु एक उद्देश्य के लिए शहीद के तौर पर हुई है. यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान के अलावा मुंबई और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर भी प्रदर्शन हुए हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैन समाज के तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी के बारे में समाज की मांग को लेकर बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात की थी. गहलोत के अनुसार, सोरेन ने इस मुद्दे का जल्द सकारात्मक हल निकालने का आश्वासन दिया है. गहलोत ने बुधवार की रात ट्वीट किया था, ‘‘झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को लेकर जैन समाज की मांग के संबंध में विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने यकीन दिलाया है कि वह भी चाहते हैं कि इस मुद्दे का जल्द से जल्द सकारात्मक हल निकाला जाए.''जैन समाज की देश की जनसंख्या में करीब 1 फीसदी हिस्सेदारी है लेकिन व्यापार में इनका काफी प्रभाव है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस मसले को संज्ञान में लिया है और 17 जनवरी को सुनवाई निर्धारित की है. यह सरकारों को मामले में जरूरी सिफारिशें कर सकता है.
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