अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के साथ ही इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि देश में अब कुछ राजनीतिक पार्टियों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस सहित, सपा, बीएसपी राम नाम का जप जपने में पीछे नहीं दिखना चाहती हैं. सबसे बड़ी बात कांग्रेस भी इस अब राम के नाम पर चूकना नहीं चाहती है. राम मंदिर आंदोलन ने जहां बीजेपी को सबसे बड़ा दल बनाया तो कांग्रेस दूसरी ओर रसातल में जाती दिखाई दी. दरअसल इसके पीछे कांग्रेस का कन्फ्यूजन भी बड़ी वजह थी. लेकिन यहां एक बार और ध्यान देने की है कि जब अयोध्या में साल 1986 में उस समय मंदिर का ताला खोला गया तो केंद्र में राजीव गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की ही सरकार थी. इसके बाद 6 दिसंबर 1992 की घटना के समय भी केंद्र में पीवी नरसिम्हाराव की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार थी. लेकिन इन दो घटनाओं के बीच कांग्रेस हमेशा दोराहे पर खड़ी नजर आई. इसका नतीजा ये हुआ है कि बीजेपी के अलावा उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी जैसी पार्टियों का उभार हुआ और कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई.
'जय श्री राम' से 'जय सिया राम': PM मोदी का नया नारा, बीजेपी की नई रणनीति?
लेकिन साल 2014 की हार के बाद कांग्रेस में हार की समीक्षा के लिए एके एंटनी की समिति ने रिपोर्ट दी थी कि हिन्दू विरोधी छवि की वजह से लोकसभा चुनाव में हार हुई है. इसके बाद कांग्रेस की ओर से बदलाव के संकेत दिए गए और बाद में हुए कई विधानसभा चुनाव में राहुल और प्रियंका गांधी का भगवा रूप भी नजर आया. लेकिन अयोध्या के मामले में कांग्रेस फिर भी दूरी बनाती रही. इसके अलावा यूपीए के समय दिए गए कुछ हलफनामे भी कांग्रेस के लिए हमेशा परेशानी की वजह बनते रहे हैं. लेकिन अयोध्या में भूमि पूजन के समय कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला और जारी किए गए एक बयान के आखिरी में जय सिया राम का नारा दिया. एक तरह से प्रियंका ने भी इस नारे के जरिए राम के चरित्र को अपने तरीके से समझने के संदेश दिया जिसमें उग्रता या आक्रमकता नहीं है, लेकिन कांग्रेस भी अब राम के नाम पर पीछे नहीं हटेगी.
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी आज भूमि पूजन के बाद 'जय सिया राम' नारा दिया. पीएम मोदी का यह नारा राम मंदिर आंदोलन के प्रतीक से जय श्री राम से अलग था. पीएम मोदी ने इस नारे के जरिए एक तरह से संदेश देने की कोशिश की कि अयोध्या के मुद्दा अब एक अहम पड़ाव पर पहुंच गया है और अब इसमें आक्रमकता की कोई जगह नहीं रह गई है. उन्होंने राम मंदिर को विकास से जोड़ा और कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के संदेश पूरी दुनिया में फैलना चाहिए. अब कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी और कांग्रेस अब 'जय सिया राम' के मुद्दे पर एक ही जगह आकर खड़ी हो गई है और क्या यह एक बड़े राजनीतिक बदलाव के संकेत हैं.
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