दिल्ली की रोहिणी अदालत ने शनिवार को जहांगीरपुरी हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए आठ लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी. रोहिणी कोर्ट का कहना है कि आरोपी व्यक्तियों को जमानत पर रिहा करने से गवाह प्रभावित हो सकते हैं. आरोपी इलाके के नामी अपराधी हैं और इसलिए कोई भी गवाह आगे नहीं आएगा. जमानत याचिका खारिज करने के साथ ही अवैध जुलूस नहीं रोकने के लिए अदालत ने दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि "आखिर वहां अनुमति न दिए जाने के बावजूद शोभायात्रा कैसे निकल गई?"
पुलिस की पूर्ण विफलता साबित हुई
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह दिल्ली पुलिस की विफलता को दर्शाता है. बिना अनुमति के निकाले गए जुलूस को रोकने में स्थानीय पुलिस की पूर्ण विफलता साबित हुई है. कोर्ट का कहना है कि दोषी अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए. अदालत ने पुलिस आयुक्त से मामले की जांच करने को कहा है.
कोर्ट ने अधिकारियों को दिया निर्देश
कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे को दरकिनार कर दिया है. संबंधित अधिकारियों की ओर से दायित्व तय करने की आवश्यकता है. ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो और पुलिस अवैध गतिविधियों को रोकने में नाकामयाब न हो.
हिंसा के मुख्य आरोपी को किया गिरफ्तार
बता दें कि दिल्ली के क्राइम ब्रांच की टीम ने बीते दिनों जहांगीरपुरी में भड़की हिंसा के मुख्य आरोपी तबरेज को शनिवार को गिरफ्तार किया है. मिली जानकारी अनुसार हिंसा के बाद आरोपी बड़े आराम से इलाके में पुलिस अधिकारियों की टीम के बीच ही घूम रहा था. पुलिस भी इस बात से अंजान रही. लेकिन पूरे मामले की गहणता से जांच के बाद अब उसे दबोच लिया गया है. जहांगीरपुरी में शोभा यात्रा पर पथराव मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने उक्त कार्रवाई की है.
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