नई दिल्ली:
केरल के तट पर इटली के नौसैनिकों द्वारा कथित तौर पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या के मामले की जांच का कार्य सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया। इटली ने एनआईए को जांच का जिम्मा दिए जाने का विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने इस विरोध को खारिज कर दिया है।
वहीं, उच्चतम न्यायालय ने इतालवी राजदूत दानयेल मांचिनी पर भारत छोड़ने पर लगी रोक हटा दी क्योंकि दो भारतीय मछुआरों की हत्या में आरोपित दो इतालवी मरीन मामले की सुनवाई में हिस्सा लेने भारत लौट आए हैं।
प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने 14 मार्च के अपने आदेश को निरस्त कर दिया। आरोपित मरीनों को भारत भेजने से इटली सरकार के इनकार के बाद उच्चतम न्यायालय ने उस आदेश में राजदूत के भारत छोड़ कर जाने पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने केन्द्र को इतालवी मरीन मासिमिलानो लातोरे और सालवातोर जिरोने के खिलाफ कार्यवाही चलाने के उद्देश्य से एक विशेष अदालत की स्थापना करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 14 मार्च को इतालवी राजदूत को कहा था कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बगैर देश छोड़ कर नहीं जाएं। खंडपीठ ने आरोपित मरीन की वापसी पर अदालत को दिए गए हलफनामे से फिरने पर नाराजगी जताई थी।
इटली ने कहा है कि एनआईए इस मामले में जांच कर रही है और ये हमें मंज़ूर नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इटली की दलील को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने सुब्रह्मण्यम स्वामी को भी फटकार लगाते हुए कहा है कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है लिहाजा इस मामले में उन्हें दखल नहीं देना चाहिए।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने यह निर्णय तब लिया जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पिछले वर्ष मछुआरों की हत्या के मामले में इटली के दो नौसैनिकों मासीमिलियानो लाटोर और साल्वाटोर जिरोन के कथित तौर पर शामिल होने के मामले में अभियोग चलाने का काम केरल सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एनआईए इस मामले की जांच शुरू से करेगी और उच्चतम न्यायालय की सलाह पर सरकार की ओर से गठित विशेष अदालत या एनआईए की विशेष अदालत में आरोप-पत्र दायर करेगी।
वहीं, उच्चतम न्यायालय ने इतालवी राजदूत दानयेल मांचिनी पर भारत छोड़ने पर लगी रोक हटा दी क्योंकि दो भारतीय मछुआरों की हत्या में आरोपित दो इतालवी मरीन मामले की सुनवाई में हिस्सा लेने भारत लौट आए हैं।
प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने 14 मार्च के अपने आदेश को निरस्त कर दिया। आरोपित मरीनों को भारत भेजने से इटली सरकार के इनकार के बाद उच्चतम न्यायालय ने उस आदेश में राजदूत के भारत छोड़ कर जाने पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने केन्द्र को इतालवी मरीन मासिमिलानो लातोरे और सालवातोर जिरोने के खिलाफ कार्यवाही चलाने के उद्देश्य से एक विशेष अदालत की स्थापना करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 14 मार्च को इतालवी राजदूत को कहा था कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बगैर देश छोड़ कर नहीं जाएं। खंडपीठ ने आरोपित मरीन की वापसी पर अदालत को दिए गए हलफनामे से फिरने पर नाराजगी जताई थी।
इटली ने कहा है कि एनआईए इस मामले में जांच कर रही है और ये हमें मंज़ूर नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इटली की दलील को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने सुब्रह्मण्यम स्वामी को भी फटकार लगाते हुए कहा है कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है लिहाजा इस मामले में उन्हें दखल नहीं देना चाहिए।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने यह निर्णय तब लिया जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पिछले वर्ष मछुआरों की हत्या के मामले में इटली के दो नौसैनिकों मासीमिलियानो लाटोर और साल्वाटोर जिरोन के कथित तौर पर शामिल होने के मामले में अभियोग चलाने का काम केरल सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एनआईए इस मामले की जांच शुरू से करेगी और उच्चतम न्यायालय की सलाह पर सरकार की ओर से गठित विशेष अदालत या एनआईए की विशेष अदालत में आरोप-पत्र दायर करेगी।
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