केरल के वायनाड में आए भयंकर भूस्खलन ने एक बड़े इलाके में सैकड़ों परिवारों को बर्बाद कर दिया, और इस डिजास्टर में मारे गए लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब इस हादसे के बाद कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या सरकारी एजेंसीज और विशेषज्ञों की चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया गया? वायनाड में जो भयंकर डिज़ास्टर हुआ क्या उससे स्थानीय लोगों को बचाया जा सकता था? क्या जब इस इलाके में 29 जुलाई की रात से तेज़ बारिश शुरू हुई तो स्थानीय लोगों को चेतावनी जारी की गयी थी वो सुरक्षित जगहों पर चल जाएं? ऐसे कई सवाल हैं, जो लोगों के मन में इस वक्त चल रहे हैं. आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं.
ISRO ने दी थी चेतावनी
पिछले साल ISRO ने एक मैप जारी कर आगाह किया था. इसरो ने बताया था कि देश के 30 जगहों पर भूस्खन की संभावना है, जिनमें 10 सिर्फ केरल में हैं. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल एंड पब्लिक हेल्थ के मुताबिक 1950 से 2018 के बीच वायनाड में 62 फीसदी तक जंगल गायब हो गए.
केरल सरकार की लापरवाही
Ecologist माधव गाडगिल की अध्यक्षता वाले Western Ghats Ecology Expert Panel ने जिस जगह पर डिज़ास्टर हुआ उसे "अति संवेदनशील" करार दिया था लेकिन केरल सरकार ने माधव गाडगीळ पैनल के ecological recommendations को नज़रअंदाज़ किया.
मौसम विभाग ने जारी की थी अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, 29 जुलाई की रात से 30 जुलाई के बीच वायनाड इलाके में 34 सेंटीमीटर तक बारिश रिकॉर्ड की गयी जो औसत से काफी ज़्यादा है. आस पास के इलाकों में भी इन चौबीस घंटों में भारी से बहुत भारी बारिश या अत्यधिक भारी बारिश दर्ज की गई. देखा जाए तो इस इलाके पर खतरा अभी टाला नहीं है. बुधवार को भी भारतीय मौसम विभाग ने केरल के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.
मौसम विभाग अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. नरेश कुमार ने एनडीटीवी से कहा, "29 जुलाई को केरल के वायानाड और आसपास के इलाकों में औसत से काफी ज्यादा बारिश हुई. 29 जुलाई को हमने वायनाड में 34 सेंटीमीटर तक बारिश रिकार्ड की जो औसत से काफी ज्यादा है. आज भी हमने केरल के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. इस इलाके में 12 से 20 सेंटीमीटर तक आज बारिश होने की संभावना है. वायनाड और आसपास के जिलों में भारी बारिश की संभावना है. केरल तट के आसपास एक सरकुलेशन भी बन रहा है".
Cochin University of Science and Technology से जुड़े एस.अभिलाष के मुताबिक अप्रत्याशित बारिश और भयंकर भूस्खलन के पीछे एक वजह क्लाइमेट चेंज हो सकता है. उनके मुताबिक अरब सागर के गर्म होने से केरल में मौसम अस्थिर हो रहा है, और वहां अधिक औसत से ज़्यादा तीव्र बारिश रिकॉर्ड की जा रही है.
फिलहाल वायनाड और आसपास के इलाकों पर मौसम का खतरा टाला नहीं है. मौसम विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक 2 अगस्त तक केरल में वायनाड सहित अधिकतर जगहों पर तेज़ बारिश का पूर्वानुमान है.
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