राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा गया कि क्या "भारत इस क्षेत्र (उपमहाद्वीप और हिंद महासागर क्षेत्र) में धौंस दिखा रहा है" तो इस पर उन्होंने तीखा जवाब देते हुए कहा, 'बड़े धौंस जमाने वाले' देश वो नहीं होते हैं जो पड़ोसी देश पर संकट आने पर उन्हें 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान करें.
बिग बुली नहीं करते पड़ोसी देश की 4.5 बिलियन की सहायता
एस जयशंकर ने कहा, "आज दुनिया के इस हिस्से में बड़ा बदलाव यह है कि भारत और उसके पड़ोसियों के बीच क्या हुआ है. जब आप कहते हैं कि भारत एक धौंस दिखाने वाला देश है तो आपको पता होना चाहिए कि बड़े धौंस दिखाने वाले देश पड़ोसी देश के संकंट में होने पर उन्हें साढ़े चार अरब डॉलर की सहायता नहीं देते. जब कोविड चल रहा था तब भी बड़े धौंस दिखाने वाले देश वैक्सीन की आपूर्ति नहीं करते या भोजन की मांग या ईंधन की मांग या उर्वरक की मांग को पूरा करने के लिए अपने खुद के नियमों को अपवाद नहीं बनाते."
बांग्लादेश और नेपाल पर बोले एस जयशंकर
एस जयशंकर का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर जमकर शेयर किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा, "आपको देखना चाहिए कि असल में भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच क्या बदला है. निश्चित रूप से बांग्लादेश और नेपाल के साथ आज के वक्त में पावर ग्रिड बना है, आज वो सड़के हैं जो एक दशक पहले नहीं थीं, आपके पास रेलवे है जो एक दशक पहले नहीं था और साथ ही जलमार्ग का भी उपयोग है. भारतीय व्यवसाय राष्ट्रीय उपचार के आधार पर बांग्लादेश के बंदरगाहों का उपयोग करते हैं."
भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने और बेहतर बनाने के लिए किए गए कार्यों को रेखांकित करते हुए, एस जयशंकर ने कहा कि नेपाल, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और मालदीव के साथ व्यापार, निवेश और यात्रा में तेज वृद्धि देखी गई है. शनिवार को पुस्तक विमोचन समारोह में एस जयशंकर ने कहा, "आज कनेक्टिविटी पर, लोगों का आना-जाना, वहां होने वाला व्यापार, वहां होने वाला निवेश, यह वास्तव में बताने के लिए एक बहुत अच्छी कहानी है और सिर्फ नेपाल और बांग्लादेश के साथ ही नहीं बल्कि श्रीलंका के साथ भी और मैं कहूंगा कि मालदीव के साथ भी कनेक्टिविटी बेहतर हुई है."
भूटान को लेकर कही ये बात
उन्होंने आगे कहा, "और भूटान... मैं उन्हें भूलना नहीं चाहता क्योंकि वो लगातार मजबूत भागीदार रहे हैं. इसलिए पड़ोस में हमारी समस्या, बहुत ईमानदारी से केवल एक देश के संबंध में है. और कूटनीति में आप हमेशा एक आशा लगाए रखते हैं कि हां ठीक है, इसे जारी रखें क्योंकि कौन जानता है कि एक दिन भविष्य में क्या होगा."
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