नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों का भरोसा लौटा है और यह बात निजी क्षेत्र में निवेश में आ रही तेजी से पता चलती है. नागेश्वरन ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘यह (भरोसा) वापस आ गया है. अगर ऐसा नहीं होता तो कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करती. आप अगर विनिर्माण और सेवा क्षेत्रो में खरीद प्रबंधक सूचकांक (परचेजिंग मैनेजेर इंडेक्स) को देखें, विस्तार और गिरावट को देखें, शेयर बाजार के प्रदर्शन को देखें, यह पता चलता है.''
उन्होंने कहा कि यह जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के आंकड़ों में भी दिख रहा है. नागेश्वरन ने भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में सूचीबद्ध कंपनियां अपने पूंजीगत व्यय और नई परियोजनाओं की घोषणा में तेजी ला रही हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने अंतरिम बजट में कहा है कि निजी निवेश हो रहा है. उन्होंने 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘अब निजी निवेश बड़े पैमाने पर हो रहा है. इससे केंद्र सरकार की कम उधारी से निजी क्षेत्र के लिए कर्ज की अधिक उपलब्धता होगी.''
अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ हाल के दिनों में इस्पात, सीमेंट और पेट्रोलियम जैसे कुछ क्षेत्रों में निजी निवेश में तेजी आई है. नागेश्वरन ने कहा, ‘‘यह मानते हुए कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, कॉरपोरेट और बैंक दोनों क्षेत्रों के बही-खातों में अधिक जोखिम लेने की गुंजाइश है.''
कंपनियों ने कोविड-19 अवधि से पहले और उसके दौरान अपने अपने कर्ज को कम किया है ताकि उनके पास विस्तार के लिए कर्ज लेने की क्षमता हो. साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लिए औसत पूंजी पर्याप्तता अनुपात लगभग 15 प्रतिशत है. इसके साथ बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है.
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के अंत में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16.85 प्रतिशत रहा जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सर्वाधिक है. इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक (16.80 प्रतिशत) और पंजाब एंड सिंध बैंक (16.13 प्रतिशत) है.
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