हिंसा और संघर्ष झेल रहे सीरिया, लीबिया, फिलीस्तीन समेत कई देशों के व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी भारत में एक इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने पहुंचे हैं. इसने से कई रॉकेट और लैंडमाइन अटैक में दिव्यांग हो गए, लेकिन उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी. लंबी जंग लड़ी और अब दुनिया भर में दिव्यांग लोगों के लिए एक मिसाल बन रहे हैं.
इंटरनेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मैच में फिलिस्तीनी और लीबिया के व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्लेयरों के बीच कांटे की टक्कर चल रही है. दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने यहां पहुंचने के लिए लंबा सफर तय किया है.
फिलिस्तीनी नागरिक अब्दुल जव्वाद 2014 में एक इज़राइली रॉकेट हमले में बुरी तरह से घायल हो गए थे. एनडीटीवी से बातचीत में अब्दुल जव्वाद ने बताया --डॉक्टरों ने जान बचाने के लिए उनके क्षतिग्रह पैरों को काटने का फैसला किया लेकिन उन्होने ज़िन्दगी से हार नहीं मानी. एक साल बाद ही व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया. छह साल बाद अब इंटरनेशनल टूर्नामेंट में खेलने पहुंचे हैं.
अब्दुल जव्वाद मूसा ने कहा, "एक दिन मैंने टीवी पर व्हीलचेयर बास्केटबॉल का एक मैच देखा. 2015 से ही मैंने प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया था. मैं दिव्यांग लोगों के लिए इस खेल को और विकसित करना चाहता हैं. मैं इस खेल को बहुत पसंद करता हूं. इससे भविष्य की उम्मीद बेहतर होती है".
अब्दुल जव्वाद के प्रतिद्वंदी लीबिया टीम के खिलाड़ी मिलाग भी अगस्त 2018 में एक समय आंतरिक संघर्ष और हिंसा के शिकार हो गए थे. एक लैंडमाइन ब्लास्ट में घायल होने के बाद उनके दोनों पैर काटने पड़े. व्हीलचेयर बास्केटबाल ने जिंदगी में नयी उम्मीद जताई है. मिलाग ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया, "व्हीलचेयर बास्केटबॉल ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी है. इस खेल से नयी उम्मीद जगी है. इसकी मदद से मेरा विश्वास बढ़ा है. इससे दूसरे लोगों का भी विश्वास बढ़ेगा, उनकी ज़िन्दगी बदलेगी".
इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ दी रेड क्रॉस (ICRC), व्हीलचेयर बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (WBFI) और पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (PCI) ने मिलकर भारत में ये पहला आमंत्रण अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल टूर्नामेंट आयोजित किया है. इंटरनेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल टूर्नामेंट में सीरिया, कंबोडिया, फिलिस्तीन, लीबिया समेत 8 देशों के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं.
इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ दी रेड क्रॉस के वरिष्ठ अधिकारी नावेद ने एनडीटीवी से कहा, " हम विकलांग लोगों को समाज में एकीकृत करना चाहते हैं. इस तरह की चैंपियनशिप खिलाड़ियों के बीच संस्कृतियों के आदान-प्रदान की अनुमति देती है. यह एक टीम निर्माण अभ्यास है और प्रतिभागियों के बीच आशा का भी प्रतीक है कि वे सभी समाज का हिस्सा हैं."
आईसीआरसी के डिसेबिलिटी स्पोर्ट एंड इंक्लूजन एडवाइजर एनडीटीवी से कहा, "यह चैंपियनशिप विकलांग लोगों के लिए खेल के माध्यम से समावेश का उदाहरण है. यह समावेश की सच्ची शक्ति को दर्शाता है".
युद्ध की मारी हुई दुनिया में खेल एक मलहम बन सकते हैं शायद इस तरह की चैंपियनशिप से एक बड़े समुदाय को राहत मिले. उम्मीद करनी चाहिए कि यह पहल दुनिया में युद्ध के ताप को कुछ काम करेगी और एक जिंदगी की एक नई शुरुआत का जरिया बनेगी.
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