पश्चिम बंगाल की मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट के लिए होने वाले चुनाव में मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है क्योंकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपनी राज्य इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम को मैदान में उतारा है, लेकिन मुर्शिदाबाद से मौजूदा सांसद और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार अबू ताहिर खान एक सियासी प्रतिद्वंद्वी के रूप में सलीम को ज्यादा तवज्जो नहीं देते. खान का कहना है कि चुनाव में उनका मुकाबला मुर्शिदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी गौरी शंकर घोष से है.
इस निर्वाचन क्षेत्र को अपेक्षाकृत एक पिछड़े क्षेत्र के तौर पर देखा जाता जहां चुनाव के दौरान अक्सर हिंसा की खबरें लोगों को सुनने को मिलती हैं. तीनों उम्मीदवार इस बात से सहमत हैं कि मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा एक बड़ा मुद्दा है लेकिन उन्हें लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. उम्मीदवारों का मानना है कि हिंसक गतिविधियां पंचायत चुनावों के दौरान ज्यादा होती हैं.
बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करने वाले मुर्शिदाबाद निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें से छह भागाबंगोला, रानीनगर, मुर्शिदाबाद, हरिहरपारा, डोमकल और जलांगी मुर्शिदाबाद जिले का हिस्सा हैं जबकि करीमपुर नादिया जिले में स्थित है.
मुर्शिदाबाद विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभा की सभी छह सीट पर 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने जीत हासिल की थी. मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर 1980 से 2004 तक माकपा का कब्जा था लेकिन 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट को हथियाने में कामयाब रही, लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में इस सीट पर क्रमश: माकपा और टीएमसी अपनी-अपनी जीत का पताका फहराने में कामयाब हुईं.
विशेषज्ञों का मानना है कि मुर्शिदाबाद निर्वाचन क्षेत्र वास्तव में 2000 के दशक की शुरुआत से ही इनमें से किसी भी पार्टी का गढ़ नहीं रहा है, जो चुनाव के दौरान हिंसा का एक प्रमुख कारण हो सकता है. माकपा इस बार किसी जमाने में अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रही कांग्रेस के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में टीएमसी और भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रही है.
माकपा की राज्य इकाई के सचिव और पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य सलीम ने कहा कि स्थानीय जनता का प्रवासी मजदूरों के रूप में काम करना, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और टीएमसी के कुछ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप जैसे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं. उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''दो सत्ता विरोधी शक्तियां संयुक्त रूप से काम कर रही हैं, एक भाजपा के खिलाफ है और दूसरी टीएमसी के खिलाफ.'' उन्होंने कहा कि वाम-कांग्रेस गठबंधन को इसका लाभ मिलेगा.
टीएमसी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मुर्शिदाबाद सीट पर 41.57 प्रतिशत वोट हासिल कर शानदार जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस को 26 प्रतिशत, भाजपा को 17.05 प्रतिशत और माकपा को 12.44 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा था.
टीएमसी के उम्मीदवार अबू ताहिर खान ने मुर्शिदाबाद सीट पर लगातार दूसरी बार सीट हासिल करने का विश्वास जताते हुए दावा किया कि निर्वाचन क्षेत्र में सलीम उनके लिए खतरा नहीं हैं. खान, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा देकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गये थे.
खान ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, '' मोहम्मद सलीम अपनी पार्टी के लिए कद्दावर नेता हो सकते हैं लेकिन मुर्शिदाबाद में उनका कोई जमीनी आधार नहीं है.'' खान 2001 से लगातार चार बार कांग्रेस के टिकट पर नवादा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे और पार्टी की मुर्शिदाबाद जिला इकाई के अध्यक्ष भी रहे थे. उन्होंने दावा किया कि माकपा ने सलीम के लिए मुस्लिम बहुल सीट ढूंढ़ी है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मुर्शिदाबाद जिले में 66 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है जबकि हिंदओं की तादाद 33 प्रतिशत है.
भाजपा उम्मीदवार गौरी शंकर घोष ने दावा किया कि सीएए लागू करने से निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी की संभावनाओं पर किसी प्रकार का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. संसद में सीएए विधेयक पारित होने के बाद 2019 में मुर्शिदाबाद जिले में व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे लेकिन 11 मार्च को कानून लागू किये जाने के बाद ऐसी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई.
घोष ने टीएमसी और माकपा पर मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह के प्रयासों से उन्हें (विपक्षी दल) कोई लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि लोग, चाहे वे किसी भी धर्म के हों अब योजनाओं के प्रति जागरूक हैं. घोष ने कहा, ''लोग अब जानते हैं कि केंद्र द्वारा क्या दिया जा रहा है और राज्य द्वारा क्या दिया जा रहा है। टीएमसी जनता को मूर्ख नहीं बना सकती। लोब अब विकास के लिए भाजपा को चाहते हैं.''
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