
- NHAI ने इंदौर-देवास हाईवे ट्रैफिक जाम पर की विवादित टिप्पणी
- हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर एक सप्ताह में मांगा जवाब
- NHAI ने जाम के कारणों में क्रशर यूनिट की हड़ताल का हवाला दिया
- इंदौर कलेक्टर ने कमजोर सर्विस रोड को जाम का कारण बताया
देश का सड़क नेटवर्क संभाल रही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इंदौर-देवास हाईवे पर 40 घंटे तक चले जाम के बाद ऐसी टिप्पणी की जिसे सुनकर शायद ट्रैफिक में दम तोड़ चुके लोगों के परिजन भी स्तब्ध रह जाएं. NHAI के वकील ने कोर्ट में कहा – 'लोग बिना काम के इतनी जल्दी घर से निकलते ही क्यों हैं?'
इस ‘जिम्मेदार' बयान ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल ये कि क्या देश में सड़कें लोगों के चलने के लिए बनी हैं या सरकार की जवाबदेही से बचने की प्रयोगशाला बन चुकी हैं?

याचिकाकर्ता के सीनियर एडवोकेट गिरीश पटवर्धन ने बताया -
'हाईकोर्ट ने एनएचएआई, इंदौर देवास टोलब्रिज, कंस्ट्रक्शन करने वाली कंपनी, पुलिस कमिश्नर, कलेक्टर को पक्षकार बनाया है. उनसे नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है. सवाल पूछा गया है कि सितंबर में कहा था 4 सप्ताह में डायवर्जन रोड बना देंगे तो अभी तक ये पूरा क्यों नहीं हुआ? इस पर उनका जवाब था कि क्रेशर की हड़ताल से नहीं कर पाए'.
NHAI की दलील पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा - "ये बात कही गई थी न्यायालय ने कहा कि ऐसे तो किसी का घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा ये तर्क नहीं दिया जा सकता इसको न्यायलय ने गंभीरता से नहीं लिया."
40 घंटे का जाम, 3 मौतें, और NHAI की संवेदनहीनता
शुक्रवार से शुरू हुआ ये जाम इंदौर-देवास रोड पर 8 किलोमीटर तक फैला था, जिसमें करीब 4 हजार गाड़ियां फंसीं रहीं. इस जाम में तीन लोगों की जान चली गई, जिसमें कमल पांचाल, बलराम पटेल, संदीप पटेल शामिल हैं.
कमल पांचाल को जाम में घुटन और घबराहट के चलते हार्ट अटैक आया. डेढ़ घंटे तक फंसे रहने के बाद अस्पताल ले जाया गया, लेकिन जान नहीं बची.
वहीं बलराम पटेल के भतीजे सुमित पटेल एनएचएआई की टिप्पणी से बेहद नाराज हैं. NDTV से बातचीत में उन्होंने कहा, 'आज के वक्त में किसी के पास इतना समय नहीं है कि कोई फालतू में रोड पर घूमे. मैं इस बात की निंदा करता हूं क्योंकि मेरे बड़े पापा की जान बचाने हम सड़क पर निकले थे, ना कि घूमने और अगर एनएचआई के अधिकारियों के साथ ऐसा हुआ हुआ तो उन्हें समझ आता.'
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ में हुई, जिसमें केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय, दिल्ली और इंदौर स्थित NHAI दफ्तर, इंदौर कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, सड़क निर्माण कंपनी और टोल कंपनी को पक्षकार बनाया गया है.
जनहित याचिका ने खोली सड़कों की बदहाली की परतें
देवास के अधिवक्ता आनंद अधिकारी ने इस जाम और मौतों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.
वे खुद भी शुक्रवार को इंदौर आना चाह रहे थे, लेकिन घंटों तक जाम में फंसे रहे.
चार हफ्ते में बनने वाला डायवर्शन रोड अब तक अधूरा क्यों?
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सितंबर में ही आदेश दिया गया था कि चार सप्ताह में डायवर्जन रोड तैयार किया जाए.
अब तक वह क्यों नहीं बना? इस पर NHAI ने क्रशर यूनिट की 10 दिन की हड़ताल को वजह बताया, जबकि कोर्ट के मुताबिक NHAI ने खुद काम पूरा करने के लिए 3 से 4 महीने की मोहलत मांगी थी.
कलेक्टर बोले – कमजोर सर्विस रोड से बना जाम का जाल
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने घटना के बाद निरीक्षण कर बताया कि बायपास पर बनी कमजोर सर्विस रोड भारी ट्रैफिक का दबाव नहीं झेल पाई. गड्ढे बन गए, जिससे ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो गया.
NHAI का दावा – मौतों की जानकारी भ्रामक!
जैसे हालात पर पर्दा डालना ही अब नई नीति हो गई है, NHAI के परियोजना निदेशक सोमेश बांझल ने रविवार को दावा किया कि तीन मौतें जाम की वजह से नहीं हुईं. उनके मुताबिक एक की मौत शाजापुर से आते वक्त हुई, दूसरे की लसूडिया क्षेत्र में — यानी 'जाम था, पर हमारी गलती नहीं थी।'
सुनवाई 7 जुलाई को फिर, लेकिन जवाबदेही अब भी अधूरी
कोर्ट ने 7 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है और सभी पक्षों से जवाब मांगा है. पर सवाल ये है कि क्या तब तक कोई और बिना 'काम के' निकलकर अपनी जान गंवाएगा? या अब NHAI नागरिकों को एक 'पास' देगी जिसमें लिखा होगा — 'आप अब इस देश की सड़कों पर चलने के लिए पात्र हैं!'
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