
- भारतीय रेल को दो वर्षों में यात्रियों से 61 लाख से अधिक शिकायतें मिलीं जो सुरक्षा और स्वच्छता से जुड़ी हैं
- सुरक्षा से संबंधित शिकायतें 12 लाख से अधिक हैं और 2024-25 में ये पिछले वर्ष से 64 प्रतिशत बढ़ीं
- यात्रियों ने कोच की सफाई और बिजली-पानी की खराबी को लेकर 8.44 लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज कराईं
आप आख़िरी बार ट्रेन में कब सफर कर रहे थे? क्या डिब्बे में गंदगी, पंखों या लाइट की खराबी, सुरक्षा का डर या फिर पानी की कमी आपको परेशान कर रही थी? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं. भारतीय रेल को पिछले दो वर्षों (2023–24 और 2024–25) में यात्रियों से 61 लाख से अधिक शिकायतें मिलीं. ये शिकायतें किसी एक-दो मुद्दों तक सीमित नहीं हैं बल्कि रोज़ाना यात्रा करने वाले लाखों लोगों की तकलीफों की पूरी तस्वीर पेश करती हैं. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी चंद्रशेखर गौड़ के आरटीआई के जवाब में रेलवे बोर्ड ने जो आंकड़े सार्वजनिक किए हैं, वे यात्री अनुभव की गंभीर तस्वीर पेश करते हैं. इसमें सुरक्षा, स्वच्छता और विद्युत उपकरणों की खराबी सबसे बड़ी समस्याओं के रूप में सामने आई हैं.

सुरक्षा सबसे बड़ा डर
अक्सर रेल यात्री कहते हैं कि रात में यात्रा करते समय चैन से नींद नहीं आती. आंकड़े बताते हैं कि यह डर बेवजह नहीं है. सिर्फ दो साल में सुरक्षा से जुड़ी 12 लाख से ज़्यादा शिकायतें दर्ज हुईं. 2024–25 में तो ये संख्या पिछले साल की तुलना में 64% बढ़कर 7.5 लाख तक पहुंच गई. यानी हर चार में से एक शिकायत सुरक्षा से जुड़ी है. केवल दो वर्षों में सुरक्षा से जुड़ी 12.07 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जो ट्रेनों से संबंधित कुल शिकायतों का लगभग चौथाई हिस्सा हैं.
डिब्बे गंदे, बिजली-पानी की किल्लत
एक यात्री की सबसे बड़ी उम्मीद होती है कि डिब्बा साफ-सुथरा हो और पंखे-लाइट काम करें. लेकिन हकीकत इसके उलट है. दो वर्षों में 8.44 लाख शिकायतें कोच की सफाई पर दर्ज हुईं और बराबर संख्या बिजली उपकरणों की खराबी को लेकर. यात्रियों ने बताया कि नलों में पानी न आना, खराब-गंदे वॉशबेसिन और स्टाफ का व्यवहार उनकी यात्रा को और मुश्किल बना देता है.

समयपालन में सुधार, लेकिन…
दिलचस्प है कि ट्रेन की पंक्चुअलिटी यानी समय पर चलने की शिकायतें 15% घटीं. लेकिन यात्री कहते हैं भले ही ट्रेन समय पर आ जाए, अगर डिब्बे गंदे हैं और सुरक्षा नहीं है, तो सफर संतोषजनक कैसे होगा? समयपालन के शिकायतों से जुड़े आंकड़े 2023–24 में 3.25 लाख से घटकर 2024–25 में 2.77 लाख रह गए.
स्टेशन पर भी कम नहीं परेशानियां
स्टेशनों पर 4.39 लाख शिकायतें 2024–25 में दर्ज हुईं। हालाँकि यह संख्या पिछले साल की तुलना में 21% कम है, फिर भी यात्री अनारक्षित टिकटिंग, पानी की कमी और दिव्यांग सुविधाओं की गैर-उपलब्धता जैसी दिक़्क़तों से जूझते रहे।
शिकायत दर्ज कराने का नया चलन
आज ज़्यादातर यात्री अपनी शिकायत सीधे रेल मदद हेल्पलाइन (139), ऐप या सोशल मीडिया के ज़रिए करते हैं. 2024–25 में ही 20 लाख से अधिक शिकायतें हेल्पलाइन से और लाखों डिजिटल माध्यम से दर्ज की गईं. रेल मदद ऐप (4.68 लाख), वेबसाइट (4.92 लाख) और सोशल मीडिया (2.12 लाख) का भी व्यापक उपयोग हुआ. वहीं, पारंपरिक माध्यम जैसे डाक और ईमेल लगभग खत्म हो गए.
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