भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटेन का पीएम बनने से भारत-ब्रिटेन के रिश्‍तों को मिलेंगे नये आयाम!

भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक के मंगलवार को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में और बड़े पैमाने पर आदान-प्रदान हो सकता है. महज सात हफ्ते पहले कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में मात खाने के बाद सुनक ने ब्रिटेन की राजनीति में वापसी की शानदार पटकथा लिख डाली.

भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटेन का पीएम बनने से भारत-ब्रिटेन के रिश्‍तों को मिलेंगे नये आयाम!

लंदन:

भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक के मंगलवार को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में और बड़े पैमाने पर आदान-प्रदान हो सकता है. महज सात हफ्ते पहले कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में मात खाने के बाद सुनक ने ब्रिटेन की राजनीति में वापसी की शानदार पटकथा लिख डाली.

भारतीय मूल के सुनक (42) ने ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन इतिहास रच दिया है. ठीक दिवाली के दिन पेनी मॉर्डंट के दौड़ से हटने की घोषणा के बाद सोमवार को सुनक को कंजरवेटिव पार्टी का निर्विरोध नेता चुन लिया गया. बकिंघम पैलेस में महाराजा चार्ल्स तृतीय से मुलाकात के बाद 210 वर्षों में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बने पूर्व वित्त मंत्री के लिए यह एक विशेष दिवाली बन गई.

उनका भारत-ब्रिटेन संबंधों को लेकर दृष्टिकोण ब्रिटेन के लिए भारत में अपना सामान बेचने के अवसर से परे है और वह चाहते हैं कि ब्रिटेन भी "भारत से सीखे."

सुनक जब चांसलर (वित्तमंत्री)थे तो उन्होंने कहा था, ‘‘ ब्रिटेन का अवसरों पर एकछत्र राज नहीं है. भारत में भी विशाल अवसर है और हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि ब्रिटिश लोगों को भी भारत जाने की सुगमता हो, ताकि वे विश्व स्तरीय संस्थानों में पढ़ सके और शानदार स्टार्टअप में काम कर सके.''

निवेश बैंकर के पेशे से राजनीति में आए सुनक ने भारत-ब्रिटेन संबंधों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा,‘‘ मैं सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे विद्यार्थी भी भारत की यात्रा करें और वहां सीखें, हमारी कंपनियों और भारतीय कंपनियों के लिए भी एक साथ काम करना आसान होगा क्योंकि यह एकतरफा संबंध नहीं होगा, यह दो तरफा संबंध होगा, संबंधों में इस तरह का बदलाव चाहता हूं.''

उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पहले संबोधन में कहा, ‘‘ आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, मैं उनसे उसी तरह सहानुभूतिपूर्ण तरीके से निपटने का प्रयास करूंगा.'' उन्होंने कहा कि वह अगली पीढ़ी पर ‘‘यह कहने के लिए ऋण नहीं छोड़ेंगे कि हम खुद भुगतान करने में अक्षम थे.''

सुनक ने मंगलवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनकर ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया. वह ब्रिटेन के पहले गैर श्वेत प्रधानमंत्री है जो संकेत करता है कि आधुनिक ब्रिटेन विविधता का उत्सव मनाता है. सुनक पांच सितंबर को कंजरवेटिव पार्टी की नेता लिज ट्रस से प्रधानमंत्री पद की दौड़ में हार गए थे. हालांकि, ट्रस ने पद पर 45 दिनों के बाद पिछले बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया.

सुनक के माता-पिता सेवानिवृत्त डॉक्टर यशवीर और फार्मासिस्ट उषा सुनक भारतीय मूल के हैं और 1960 के दशक में केन्या से ब्रिटेन आए थे. सुनक की शादी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई है. सुनक दंपति की दो बेटियां हैं. सुनक का जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था. सुनक के दादा-दादी भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान पैदा हुए थे, लेकिन उनका जन्मस्थान अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित गुजरांवाला में पड़ता है.

पार्टीगेट प्रकरण के बाद बोरिस जॉनसन की 10 डाउनिंग स्ट्रीट(ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) से विदाई और लिज ट्रस के मिनी-बजट की नाकामी के बाद सिर्फ सात सप्ताह के अंतराल पर तीसरे प्रधानमंत्री के रूप में, नए नेता को वैश्विक उथल-पुथल के दौर में अर्थव्यवस्था को बचाने और गहराई से विभाजित कंजरवेटिव पार्टी को एकजुट करने के कठिन कार्य का सामना करना है.

सुनक ऐसे समय सत्ता की कमान संभालेंगे, जब ब्रिटेन धीमी गति से विकास की तिहरी मार-उच्च मुद्रास्फीति, यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी और बजट की नाकामी के मुद्दे से जुझ रहा है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की वित्तीय विश्वसनीयता को कमजोर किया है.

उनके पास कर दरों को बढ़ाने और खर्च में कटौती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा, जो अलोकप्रिय होगा और इसके अप्रत्याशित राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं. स्टैनफोर्ड और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक सुनक 2015 में यॉर्कशायर के रिचमंड से संसद सदस्य चुने गए थे। वह वित्त मंत्रालय में कनिष्ठ पदों पर रहे और फिर वित्त मंत्री बने और जुलाई में पार्टी नेतृत्व के लिए ‘‘रेडी फॉर ऋषि'' अभियान शुरू किया.

सुनक ने ब्रिटेन के ‘‘पहले गैर-श्वेत प्रधानमंत्री'' बनने के लिए दौड़ के बारे में एक सवाल पर कहा था, ‘‘मैंने जो सबसे बड़ा त्याग किया है, वह यह है कि मैं पिछले कुछ वर्षों से एक बहुत खराब पति और पिता रहा हूं.'' धर्मनिष्ठ हिंदू सुनक ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स' का सदस्य चुने जाने पर भगवद्गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी. अपने व्यस्त कार्यक्रमों के दौरान भी वह इस्कॉन मंदिर में दर्शन करने रहे. वह पहले ब्रिटिश चांसलर थे जिन्होंने इस पद पर रहते हुए अपने आधिकारिक निवास 11 डाउनिंग स्ट्रीट के द्वार पर दिवाली के अवसर पर दीया जलाया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)