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This Article is From May 20, 2016

चीन के लिए भारतीय नौसेना के शक्ति प्रदर्शन में कमजोर कड़ी - अगस्ता

चीन के लिए भारतीय नौसेना के शक्ति प्रदर्शन में कमजोर कड़ी - अगस्ता
भारतीय नौसेना (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान के चार जहाज बुधवार को अपने ढाई महीने की यात्रा पर उन इलाकों से गुजरने के लिए रवाना हुए जिन पर चीन अपने अधिकार का दावा करता है। ये चार जहाज अपनी यात्रा के दौरान वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और अमेरिका भी जाएंगे जिसे भारतीय नौसेना "भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति के प्रति प्रतिबद्धता के तहत 'परिचालन क्षमता' के प्रदर्शन" बता रही है।

चीन के पास से बड़ी खामी के साथ गुजरने जा रहे हैं।
इस जहाजी बेड़े की कमान सम्भालने वाले सहनौसेनाध्यक्ष अच्छी तरह से जानते हैं कि वे चीन के पास दक्षिण चीन सागर से होकर बड़ी खामी के साथ गुजरने जा रहे हैं। उनके पास चार में से मात्र एक पनडुब्बीरोधी हेलीकॉप्टर हैं, जो नौसेना में 45 साल पहले शामिल हुए वेस्टलैंड सी किंग का ही एक संस्करण है। अन्य दो हेलीकॉप्टर फ्रेंच डिजाइन वाले चेतक हेलिकॉप्टर हैं जो 55 साल पहले नौसेना में शामिल हुए थे। चेतक चालकरहित ऐसा हेलीकॉप्टर है, जो दुश्मन की पनडुब्बियों को पहचानने की क्षमता नहीं रखता है और महज सामान्य कार्यों के उपयोग के लिए है।

अच्छा नहीं  है नौसेना बेड़े के हेलीकॉप्टरों का हाल
भारतीय नौसेना बेड़े के हेलीकॉप्टरों का ये हाल ऐसे समय है जब उच्चक्षमता वाले युद्धपोतों का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। शायद ये भारत के मेक इन इंडिया के अभियान की "कामयाबी" है जिसके तहत सैन्य उपकरणों के आयात को कम किया जाना है। वास्तव मे, इनमें से दो  युद्धपोत आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सह्याद्रि दक्षिण चीन सागर जाने वाले इस बेड़े का हिस्सा हैं। चार बड़े पनडुब्बीरोधी हेलीकॉप्टरों को आपस में ले जाने के लिए डिजाइन किए गए इन जहाजों में केवल एक 'सी किंग' हेलीकॉप्टर ही है।
 

पुराने हेलीकॉप्टरों को बदलने की योजना और सुस्त हो गई
भारतीय नौसेना के सैकड़ों पुराने हेलीकॉप्टरों को बदलने की योजना पहले से ही बहुत धीमी थी और वायुसेना द्वारा 12 वीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद मे कथित रिश्वत वाले अगस्ता वेस्टलैंड मामले की वजह से ये और सुस्त हो गई है। अगस्ता और उसकी मुख्य कम्पनी फिनमैकानिका, दोनों को सरकारी खरीद फरोख्त से प्रतिबंधित कर दिया गया है।  पिछले साल ही रक्षा मंत्रालय ने 10 रूस निर्मित 'काम्वो का' 28 हेलीकॉप्टर को उन्नत करने की योजना को मंजूरी दी थी जो 1980 में नौसेना में शामिल किए गए थे। सौदा 2100 करोड़ का बताया जा रहा है। लेकिन फिनमैकानिका की सहयोगी कम्पनी सेलेक्स गैलिलियो के द्वारा बनाए गए उन्नत निगरानी और राडार उपकरणों को शामिल जाना था। सेलेक्स सिस्टम्स को समुद्र मे कम दृश्यता वाले इलाकों में निशाना पहचानने वाले इंफ्रारेड सेंसर्स भी लगाने थे।

एनडीटीवी की जानकारी के मुताबिक ऐसा कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है कि इस वजह से सरकार रूसी हेलीकॉप्टरों के आधुनिकीकरण करेगी या नहीं। हालाकि निमयों के तहत इस मामले में फिनमैकानिका अगर एक मुख्य कम्पनी न होकर सहयोगी कम्पनी ही है तो भी उससे उपकरण लिए जा सकते हैं।  

वेस्टलैंड कम्पनी के हैं 'सी किंग' पनडुब्बीरोधी हेलीकाप्टर
बेड़े में भेजै गए 'सी किंग' पनडुब्बीरोधी हेलीकाप्टर वेस्टलैंड कम्पनी ने बनाए है जो फिनमैकानिका श्रंखला की एक कम्पनी है। दस से भी कम हेलीकॉप्टर ही सही काम करने की स्थिति में है इसके बावजूद विवाद के चलते उपयोग में लाए जा रहे हेलीकाप्टर के पुर्ज़ों की आवश्यकता चिंता का विषय हो सकती है। नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने एनडीटीवी को बताया कि रक्षा मंत्रालय ने नौसेना को अगस्ता से इन हेलीकाप्टर के पुर्ज़ों की खरीद के लिए विशेष अनुमति दी है क्योंकी ये एक पुराना सौदा है। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में ब्लैकलिस्ट की गई कम्पनियों से कैसे निपटना है।
 

हेलीकाप्टरों की चिंताजनक कमी को लेकर क्या कर रही है सरकार
फिलहाल 'सी किंग' को किसी उन्नत 'हेलीकाप्टर से बदलने की कोई योजना नहीं है। 2014 में सरकार ने 16 आधुनिक हेलीकाप्टरों की खरीद के लिए 1800 करोड़ का सौदा किया था। दो चयनित हेलीकाप्टरों से एक यूरोपियन एनएच 90 था जिसे बाद में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया क्योंकि उसे भी उन कम्पनियों के समूह ने बनाया था जिनमें फिनमैकानिका शामिल थी। नौसेना में  हेलीकाप्टरों की चिंताजनक कमी को देखते हुए सरकार ने दूसरी चयनित कम्पनी सिकोर्सकाय से सौदा करने के लिए बातचीत करने का मन बनाया है। लेकिन पिछले साल नवम्बर में सिकोर्सकाय का अमरीकी कम्पनी लौकहीड मार्टिन कम्पनी द्वारी अधिग्रहण करने के बाद मामला हेलीकाप्टरों की कीमतों को लेकर अटक गया।

इससे भी बड़ा सौदा 8 बिलियन यूएस डॉलर के 120 नौसैनिक 'विविध क्षमता' वाले हेलीकाप्टर खरीदने का था, जो प्राथमिक जानकारी प्राप्त करने की स्तर से आगे नहीं बढ़ पाया। जबकि पुराने हो चुके हल्के चेतक हेलीकाप्टरों को बदलने की योजना आगे नहीं बढ़ पाई है। नई खरीद के मामले उलझने और नियंत्रण से बाहर होने के बाद भारतीय नौसेना विश्वस्तरीय सेना होने के बाद भी पुराने और अप्रचलित हो चुके हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं।

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